‘खुला और मुक्त क्षेत्र बने हिन्द प्रशांत क्षेत्र’

  • विदेश मंत्री जयशंकर ने तीसरी पूर्वी एशियाई शिखर बैठक में कहा

जकार्ता। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि पूर्वी एशियाई शिखर बैठक को खुला, मुक्त, समावेशी और नियम आधारित हिन्द प्रशांत के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए जहां सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान हो। विदेश मंत्री जयशंकर के इस बयान को चीन के परोक्ष संदर्भ में देखा जा रहा है। जयशंकर ने तीसरी पूर्वी एशियाई शिखर बैठक में विदेश मंत्रियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत हिन्द प्रशांत को लेकर आसियान के दृष्टिकोण (एओआईपी) और इसे ईएएस के माध्यम से लागू किये जाने का पूरजोर समर्थन करता है। उन्होंने कहा, ‘‘ ईएएस को खुला, मुक्त, समावेशी और नियम आधारित हिन्द प्रशांत के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए जहां सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान हो।” हिन्द प्रशांत क्षेत्र में हिन्द महासागर, पश्चिमी एवं मध्य प्रशांत महासागर तथा दक्षिण चीन सागर आते हैं। इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य आक्रामकता की पृष्ठभूमि में अमेरिका, भारत तथा दुनिया की कई अन्य ताकतें हिन्द प्रशांत क्षेत्र को खुला और मुक्त क्षेत्र बनाने की जरूरत पर जोर देते रहे हैं। चीन करीब करीब सभी सम्पूर्ण विवादित दक्षिण चीन सागर पर दावा कर रहा है । हालांकि ताइवान, फिलिपीन, ब्रूनेई, मलेशिया, वियतनाम सभी इसके हिस्सों पर दावा करते रहे हैं। जयशंकर ने कहा, ‘‘ भारत द्वारा प्रस्तावित हिन्द प्रशंत सागर पहल (आईपीओआई) और एओआईपी के बीच काफी समानताएं हैं।” उन्होंने अमेरिका, भारत, आस्ट्रेलिया, जापान की सदस्ता वाले क्वाड समूह का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘ क्वाड हमेशा आसियान और आसियान नीत तंत्र का पूरक रहेगा। एओआईपी क्वाड के दृष्टिकोण में योगदान करेगा।” विदेश मंत्री ने कहा कि भारत हिन्द प्रशांत में आसियान की प्रमुखता का समर्थन करता है और ईएएस को मजबूत बनाने की वकालत करता है।’

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