-बच्चों में उत्साह लेकिन पहले दिन कम रही उपस्थिति
इंफाल। मणिपुर में दो महीने से ज्यादा वक्त तक चली जातीय हिंसा के कारण बंद रहने के बाद स्कूल बुधवार को फिर से खुल गए। स्कूल आने वाले बच्चे उत्साहित थे लेकिन ज्यादातर संस्थानों में पहले दिन उपस्थिति बहुत कम रही। विद्यार्थियों के अभिभावकों ने कक्षाएं फिर से शुरू करने के राज्य सरकार के फैसले का स्वागत किया है। मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह ने सोमवार को पांच जुलाई से पहली कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा तक के स्कूल फिर से खोले जाने की घोषणा की थी। सेंट जार्ज स्कूल की प्रधानाचार्य सिस्टर बिंदा ने कहा, ”पहले दिन कक्षाओं के लिए 100 से भी कम छात्र स्कूल पहुंचे लेकिन हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में यह संख्या बढ़ेगी।” उन्होंने कहा कि ज्यादातर स्कूलों में राहत केंद्र चल रहे हैं और इंफाल में कुछ स्कूलों में केंद्रीय बलों को तैनात किया गया है। उन्होंने कहा ‘‘इस तरह के हालात में चीजों को सामान्य होने में थोड़ा और वक्त लगेगा। अपनी ओर से भी हमें ऐहतियात बरतनी होगी।
संयुक्त प्रतिनिधिमंडल करेगा आज राज्य का दौरा
नई दिल्ली। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) का एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल छह जुलाई से आठ जुलाई तक हिंसा प्रभावित मणिपुर का दौरा कर स्थिति का जायजा लेगा। दोनों दलों ने मणिपुर जाने वाली पांच सदस्यीय टीम की घोषणा की। इसमें माकपा के राज्यसभा सदस्य विकास रंजन भट्टाचार्य और जॉन ब्रिटास और भाकपा सांसद विनय विश्वम, संदोष कुमार पी और के. सुब्बा रयान शामिल हैं। वामपंथी पार्टियों ने कहा, ‘‘यह प्रतिनिधिमंडल इम्फाल और चुराचांदपुर में सभी समुदायों के लोगों से मुलाकात करेगा। प्रतिनिधिमंडल सात जुलाई को शाम पांच बजे राज्यपाल से मिलेगा और आठ जुलाई को मीडिया के साथ अपने अनुभव को साझा करेगा।” मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों के बीच झड़पों में 120 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। पहली बार हिंसा तीन मई को तब भड़की जब मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में राज्य के पहाड़ी जिलों में जनजातीय एकजुटता मार्च आयोजित किया गया था। भाषा हक
दो स्थानों पर गोलीबारी
इम्फाल। मणिपुर में दो स्थानों पर रुक-रुक कर गोलीबारी की घटनाएं हुईं और इस दौरान किसी के हताहत होने की फिलहाल कोई जानकारी नहीं मिली है। सुरक्षा सूत्रों ने यहां यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि रुक-रुक कर गोलीबारी की पहली घटना मंगलवार रात सात बजे से आठ बजे तक खोइजुमतंबी में दो समुदायों के बीच हुई। उन्होंने बताया कि दोनों समुदायों के बीच गोलीबारी कुछ देर बाद रुक गई और इस दौरान किसी के हताहत होने की जानकारी नहीं है। सूत्रों ने बताया कि एक अन्य घटना ईस्ट फेलेंग में रिज लाइन के पास बुधवार तड़के करीब साढ़े चार बजे हुई। उन्होंने बताया कि इस दौरान भी किसी के हताहत होने की कोई सूचना नहीं मिली है। राज्य में मेइती और कुकी समुदायों के बीच झड़पों में करीब 120 लोगों की जान जा चुकी है और 3,000 से अधिक लोग घायल हुए हैं। पहली बार हिंसा तीन मई को तब भड़की, जब मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में राज्य के पहाड़ी जिलों में ‘जनजातीय एकजुटता मार्च’ आयोजित किया गया था। मणिपुर की आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं। जनजातीय नगा और कुकी आबादी का हिस्सा 40 प्रतिशत है और वे पहाड़ी जिलों में रहते हैं।
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जेपीसी से हो हिंसा की जांच : कांग्रेस
तिरुवनंतपुरम। केरल कांग्रेस (एम) के प्रमुख व राज्यसभा सदस्य जोस के. मणि ने मणिपुर हिंसा की जांच संयुक्त संसदीय समिति से कराने का अनुरोध किया है। मणि ने कहा कि वह चाहते हैं कि संसद के अगले सत्र में इस मुद्दे पर चर्चा की जाए। उन्होंने दावा किया कि मणिपुर में जो हुआ है, वह केवल लोगों के बीच भड़की हिंसा नहीं है बल्कि वैसा ही एक “नियोजित नरसंहार”, जो देश के विभाजन के दौरान हुआ था। उन्होंने बीते दो दिन में पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर के हिंसाग्रस्त इलाकों की यात्रा के बाद नयी दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही। मणि ने केरल कांग्रेस (एम) के उपाध्यक्ष थॉमस चाझिक्कडन के साथ मीडिया से मुलाकात की। केसी (एम) केरल में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) में प्रमुख सहयोगी दल है। मणि ने कहा, “ मणिपुर में पिछले दो महीने से जारी सुनियोजित जातीय हिंसा की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराई जानी चाहिए।” उन्होंने कहा कि 20 जुलाई से शुरू होने वाले संसद के सत्र में अन्य कामकाज रोककर इस मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए। सांसद ने कहा कि उनकी पार्टी दो दिवसीय यात्रा के दौरान मणिपुर की वास्तविक स्थिति को समझने के बाद यह मांग कर रही है।
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