मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने की लोगों से समान नागरिक संहिता का विरोध करने की अपील

-कहा- यूसीसी के प्रावधान मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और शरीयत के कानून के तहत नहीं

नई दिल्ली। यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) को लेकर सियासी बवाल मचा हुआ है। इस बीच बुधवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से एक बड़ी बैठक की गई। बैठक के बाद बोर्ड ने मुस्लिम समाज के लोगों से अपील की है कि यूसीसी का विरोध किया जाए। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ये बैठक करीब 3 घंटे तक चली। एआईएमपीएलबी की ओर से कहा गया, “विरोध करने के लिए बस एक लिंक पर क्लिक करना होगा, जहां पर विरोध की लाइनें पहले से ही मौजूद हैं। बस अपनी मेल आईडी से उसे लॉ कमीशन को भेजना होगा।

क्या बोले बोर्ड के सदस्य?

बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि यूसीसी के मसले पर चर्चा हुई है और जो बातें हुई उसमें आपत्तियों के तमाम बिंदुओं पर चर्चा की गई। इसे लेकर एक लिंक जारी किया गया और आम लोगों से इसका विरोध करने की अपील की गई है। उन्होंने कहा, “यह बात हम पहले ही कर चुके हैं कि यूसीसी के प्रावधान मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और शरीयत के कानून के तहत नहीं हैं। ऐसे में इसका विरोध जायज है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड शरीयत पर आधारित है इसलिए कोई भी मुसलमान उसमें किसी भी तरीके के बदलाव को मंजूर नहीं करेगा।

चिट्ठी में क्या कहा गया?

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से जारी चिट्ठी में कहा गया कि हमारे देश में समान नागरिक संहिता को लागू करने का माहौल बनाया जा रहा है, इसके जरिए अलग-अलग धर्मों और संस्कृतियों की स्वतंत्रता पर चोट पहुंचाई जा रही है।

इस्लामी कानून भेदभाव करते हैं : राज्यपाल खान

इधर, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शरियत कानून पर हमला बोला है। खान ने कहा- मुस्लिम पर्सनल लॉ बनाने वाले अपने आप को खुदा से कम नहीं समझते। बादशाहों की जरूरत पूरी करने के लिए लिखे गए कानूनों को शरियत का नाम दिया गया। ये उसी की वकालत करते हैं। खान ने यह भी कहा- इस्लामी कानून भेदभाव करते हैं। 90% कानूनों का कुरान से कोई लेना-देना नहीं है। तीन तलाक खत्म करने के लिए 40 साल बाद हमारी पीढ़ियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को याद करेंगी।

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