कोहिमा। विधि आयोग द्वारा देश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की आवश्यकता पर विभिन्न हितधारकों के विचार मांगे जाने के बीच नगालैंड के एक चर्च निकाय और एक आदिवासी संगठन ने कहा है कि इस तरह की संहिता के कार्यान्वयन से अल्पसंख्यकों और जनजातीय लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा। नगालैंड बैपटिस्ट चर्च काउंसिल (एनबीसीसी) ने आशंका व्यक्त की है कि यदि यूसीसी लागू होती है, तो इससे अपने धर्म का पालन करने के अल्पसंख्यकों के अधिकार का उल्लंघन होगा। वहीं, नगालैंड ट्राइबल काउंसिल (एनटीसी) ने दावा किया कि यूसीसी संविधान के अनुच्छेद 371ए के प्रावधानों को कमजोर कर देगी, जिनमें कहा गया है कि नगाओं की धार्मिक या सामाजिक प्रथाओं, नगा प्रथागत कानून एवं प्रक्रिया से संबंधित, तथा अन्य मामलों में संसद का कोई भी अधिनियम राज्य पर लागू नहीं होगा। एनबीसीसी के महासचिव डॉ. ज़ेल्हौ कीहो ने एक बयान में दावा किया कि केंद्र का कदम अल्पसंख्यकों के सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक अधिकारों में हस्तक्षेप करेगा। उन्होंने दावा किया कि लागू होने के बाद यूसीसी संविधान के अनुच्छेद 25 को कमजोर कर देगी जो धर्म की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। एनटीसी ने मांग की कि नगालैंड को यूसीसी के दायरे से बाहर रखा जाए ताकि अनुच्छेद 371ए के “कड़ी मेहनत से अर्जित अविभाज्य प्रावधान” अछूते रहें। यूसीसी का कार्यान्वयन भाजपा के चुनावी घोषणापत्र का हिस्सा रहा है।
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