‘देश के इतिहास में आपातकाल को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा’,

-इमरजेंसी के 48 साल पूरे होने पर पीएम मोदी ने किया ट्वीट

  • भाजपा अध्यक्ष ने भी गांधी परिवार को घेरा

नई दिल्ली। देश में आपातकाल लगाए जाने के 48 साल पूरे हो गए हैं। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने उन लोगों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया था। पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘मैं उन लोगों को श्रद्धांजलि देता हूं, जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया और देश में लोकतंत्र की भावना को मजबूत करने के लिए काम किया। आपातकाल हमारे देश के इतिहास का कभी ना भूला जा सकने वाला समय है, जो संविधान के मूल्यों के पूरी तरह खिलाफ है।’ बता दें कि पीएम मोदी फिलहाल मिस्त्र के दौरे पर हैं।

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी आपातकाल को याद करते हुए ट्वीट किया है। ट्वीट में नड्डा ने लिखा कि ’25 जून 1975 को एक परिवार ने अपने तानाशाही रवैये के कारण देश के महान लोकतंत्र की हत्या की और आपातकाल जैसा कलंक थोपा था। जिसकी निर्दयता ने सैकड़ों वर्षों के विदेशी शासन के अत्याचार को भी पीछे छोड़ दिया। ऐसे कठिन समय में असीम यातनाएं सहकर लोकतंत्र की स्थापना के लिए संघर्ष करने वाले सभी राष्ट्र भक्तों को नमन करता हूं’

के मौलिक अधिकारों का हनन

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आपातकाल के मुद्दे पर कांग्रेस पर तीखा हमला बोला और कहा कि ‘कांग्रेस पार्टी ने 1975 में देश में आपातकाल लागू कर दिया था। कांग्रेस पार्टी ने एक परिवार के लिए देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन किया। देश में संविधान को सस्पेंड करने के विरोध में आज का दिन काले दिन के रूप में मनाया जाता है। आज के युवाओं को भी याद रखना चाहिए कि कांग्रेस देश के लिए कितनी खतरनाक है।’

21 महीने की थी इमरजेंसी

बता दें कि इंदिरा गांधी की सरकार में 25 जून 1975 को देश में इमरजेंसी लागू की थी। यह इमरजेंसी 21 महीने यानी 21 मार्च 1977 तक चली। इंदिरा गांधी ने संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए देश में आपातकाल लागू किया था।

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(बॉक्स)

पाञ्चजन्य ने हिटलर से की इंदिरा गांधी की तुलना

(फोटो : हिटलर)

इमरजेंसी की बरसी पर आरएसएस के मुखपत्र पांचजन्य ने देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तुलना जर्मनी के तानाशाह हिटलर से की है। पांचजन्य के कवर पेज पर हिटलर और इंदिरा गांधी की तस्वीर आमने-सामने लगाई गई है। जिसका टाइटल हिटलर गांधी रखा गया है। वहीं पीएम मोदी ने आपातकाल को डार्क डेज ऑफ इमरजेंसी बताया। पांचजन्य के पेज पर लिखा है, ‘हिटलर के जघन्य अपराधों को नकारने या भुलाने पर यूरोप में कई जगह कानूनी पाबंदी है। ये उनके लिए अस्तित्व रक्षा का सवाल है। यही स्थिति भारत में इंदिरा गांधी के लगाए गए आपातकाल की है, जिसे भुलाना लोकतंत्र के अस्तित्व के लिए खतरनाक हो सकता है। आइए याद करें 25 जून, 1975 की काली रात से शुरू हुई दास्तान…” इसके आगे पांचजन्य मैगजीन में जयप्रकाश नारायण की हाथ में हथकड़ी लगी फोटो है। जिसका टाइटल ‘वह भयावह कहानी’ दिया है। इसमें लिखा गया है, ‘अगर यूरोप नाजीवाद और फासीवाद के सच को भुला देगा तो वहां फिर से वही सब होने से बचना संभव नहीं रह जाएगा। यही स्थिति भारत के साथ है। अगर हम आपातकाल को भुला देंगे तो हमारे लिए भी लोकतंत्र को बचाए रखना संदिग्ध हो जाएगा।’ मैगजीन में आगे लिखा, ‘इमरजेसी की लोमहर्षक कहानी लाखों लोगों को जेल में बंद करके, लोकतंत्र का, कानून का, संविधान का, मर्यादा का, हर तरह की संस्था का, न्यायपालिका का गला घोटकर स्वयं को सत्ता में बनाए रखने की तानाशाही सनक की कहानी है।’इसके आगे लिखा गया है, ‘इन बातों को बीती मानकर छोड़ना वैसा ही होगा जैसे यूरोप में किसी नाजी पार्टी को फिर से पनपने देना। यह न तो विचारधारा का प्रश्न है और न ही राजनीति का। यह भारत के लोकतंत्र की रक्षा का प्रश्न है। इसके साथ ही शिवेंद्र राणा के ‘तानाशाह इंदिरा’ समेत कुछ अन्य लेखकों के लेख में आपातकाल पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है। पत्रिका के इसी अंक में कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर भी करारा प्रहार है। संपादकीय में पत्रिका के संपादक हितेश शंकर ने गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार देने पर कांग्रेस पार्टी की बौखलाहट के साथ आपातकाल का जिक्र करते हुए लिखा है कि, नाम में गांधी का पुछल्ला जोड़कर हिटलर के कदमों पर चलती वह कांग्रेस न केवल अहिंसा से दूर और नाजीवाद के पास है, बल्कि गांधी से तो उसका कोई नाता ही नहीं है।


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