— केंद्रीय मंत्री का दावा, 71 कंपनियों को नोटिस, 18 में ताले
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बीते दिनों दुनियाभर में हुई 300 से ज्यादा मौतों के लिए भारत में निर्मित 7 कफ सिरप को जिम्मेदार ठहराते हुए ब्लैक लिस्टेड कर दिया है। संगठन के मुताबिक इन मौतों के लिए ये सिरप जिम्मेदार हैं। वहीं, इस मामले पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा है कि नकली दवाओं पर ‘कतई बर्दाश्त नहीं’ की नीति है।
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नई दिल्ली। डब्लूएचओ भारत और इंडोनेशिया के कफ सिरप और विटामिन बनाने वाली 20 कंपनियों की जांच कर रही है। एजेंसी के एक अधिकारी ने बताया कि इनकी दवाओं के विस्तृत विश्लेषण से जानकारी मिली है कि इनमें अस्वीकार्य मात्रा में डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल मिला है। वहीं, एजेंसी के महानिदेशक डॉ टेडरोस. अदनहोम गेब्रेहेसुस ने बताया कि गाम्बिया में चार कफ सिरप में दूषित पदार्थ मिलने की वजह से इनके खिलाफ अलर्ट जारी किया गया है। इन दवाओं के कारण ही गाम्बिया में 66 बच्चों के किडनी फेल होने की वजह से उनकी मौत हुई थी। अभी पिछले कुछ महीनों में दुनिया के कई देशों में दूषित कफ सिरप की वजह के 300 बच्चों की मौत हो चुकी है। डब्लूएचओ ने कफ सिरप के अलावा विटामिन बनाने वाली कंपनियों को भी जांच के घेरे में डाला है। अब तक इस जहरीली कफ सिरप की बिक्री को लेकर 9 देशों में अलर्ट जारी जारी किया गया है। मालूम हो कि पिछले एक महीने में सेंट्रल अफ्रीका का देश कैमरून में एक दर्जन से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है। वहीं, गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत के बाद भारत के ड्रग कंट्रोलर ने नोएडा के मैरियन बायोटेक, हरियाणा के करनाल के मेडेन फार्मास्युटिकल्स, पंजाब के क्यूपी फर्माकेम और चेन्नई के ग्लोबल फार्मा कंनियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी थी।
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कैमरून में 12 बच्चों की मौत का दावा
हाल के महीनों में मिडिल अफ्रीकी देश कैमरून में एक दर्जन से भी ज्यादा बच्चों की मौत की खबर सामने आई थी। अब कैमरून के अधिकारियों ने बताया है कि उनके शरीर में अलग। अलग तरह के कफ सिरप के निशान मिले हैं जिसे भारत में बनाया गया था। नेचरकोल्ड नाम की इस कफ सीरप की लैब मध्य प्रदेश के इंदौर में है। इधर, रीमैन लैब के एक निदेशक नवीन भाटिया ने कहा, तस्वीर में दिखाई देने वाली दवाएं हमारे जैसी दिखती हैं। उन्होंने कहा कि रीमैन सख्त क्वालिटी कंट्रोल का पालन करता है और वह दूषित दवा नहीं बना सकता था। हालांकि नकली दवाएं बनाना काफी आम है।
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गाम्बिया और उजबेकिस्तान में मौतें
इससे पहले भी गाम्बिया में 60 से अधिक और उज्बेकिस्तान में लगभग 20 बच्चों की मौत का मामला सामने आया था। उस वक्त भी उनकी मौत के पीछे भारतीय दवाओं को ही जिम्मेदार ठहराया गया था। उन मामलों में, सिरप की दवाएं दो जहरीले रसायनों, एथिलीन ग्लाइकॉल और डायथिलीन ग्लाइकॉल से दूषित पाई गईं। दो और भारतीय कंपनियों पर लाइबेरिया और मार्शल द्वीप समूह में पाए जाने वाले इसी तरह के दूषित सिरप बनाने का संदेह है। हालांकि अभी तक इस मामले में किसी के भी स्वास्थ नुकसान की कोई खबर सामने नहीं आई है।
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तीन कंपनियों की जांच के बाद उत्पादन बैन
बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अलर्ट जारी करने के बाद भारत के ड्रग कंट्रोलर ने देश की तीन दवा निर्माता कंपनी मैरियन बायोटेक, मेडेन फार्मास्युटिकल, ग्लोबल फार्मा और क्यूपी फार्माकेम पर जांच शुरू की थी। वहीं, जांच के दौरान अनियमितता पाए जाने पर इनके उत्पादन पर बैन लगा दिया था।
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भारत ने किया सीरप का निर्यात
भारत ने 2022-23 में 17.6 अरब अमेरिकी डॉलर के कफ सीरप का निर्यात किया, जबकि 2021-22 में यह निर्यात 17 अरब अमेरिकी डॉलर का था। कुल मिलाकर, भारत वैश्विक स्तर पर जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा प्रदाता है, जो विभिन्न टीकों की वैश्विक मांग का 50 प्रतिशत से अधिक, अमेरिका में लगभग 40 प्रतिशत जेनेरिक मांग और ब्रिटेन में लगभग 25 प्रतिशत दवाओं की आपूर्ति करता है।
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मंत्री बोले-नकली दवाएं ‘कतई बर्दाश्त नहीं’ की नीति
इधर, एक साक्षात्कार में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा है कि भारत नकली दवाओं के मामले में ‘कतई बर्दाश्त नहीं करने’ की नीति का पालन करता है। मांडविया ने कहा, हमने 125 से अधिक कंपनियों में जोखिम-आधारित विश्लेषण किया है और हमारे दस्तों ने उनके प्रतिष्ठानों का दौरा किया है। इनमें से 71 कंपनियों को ‘कारण बताओ’ नोटिस और 18 को बंद किए जाने का नोटिस दिया गया है। उन्होंने कहा, मैं आपके माध्यम से दुनिया को आश्वस्त करना चाहता हूं कि भारत कभी भी दवाओं की गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं करेगा। हम ‘कतई बर्दाश्त नहीं’ की नीति का पालन करते हैं। नकली दवाओं के मामले में देश में वैसा ही व्यवहार किया जाएगा जैसा कि विदेशों में किया जाता है। हम हमेशा यह सुनिश्चित करने के लिए सतर्क हैं कि नकली दवाओं से किसी की मौत न हो। आरोप लगा था कि पिछले साल खांसी रोकने के लिए भारत में निर्मित सीरप से गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में क्रमश: 66 और 18 बच्चों की मौत हो गई। मांडविया ने कहा, जब भी भारतीय दवाओं के बारे में कुछ सवाल उठाए जाते हैं तो हमें तथ्यों में शामिल होने की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए गाम्बिया में, यह कहा गया था कि 49 बच्चों की मौत हुई है। डब्ल्यूएचओ में किसी ने यह कहा था और हमने उन्हें लिखा था कि तथ्य क्या हैं? कोई भी हमारे पास तथ्यों के साथ नहीं आया। उन्होंने कहा, हमने एक कंपनी के नमूनों की जांच की। हमने मौत की वजह जानने की कोशिश की और पाया कि बच्चे को अतिसार था। अगर किसी बच्चे को अतिसार हुआ तो उस बच्चे के लिए कफ सीरप की सलाह किसने दी? मंत्री ने कहा कि कुल 24 नमूने लिए गए, जिनमें से चार विफल रहे। उन्होंने कहा, सवाल यह है कि अगर निर्यात के लिए सिर्फ एक बैच बनाया गया था और अगर वह विफल रहता है, तो सभी नमूने विफल हो जाएंगे। यह संभव नहीं है कि 20 नमूने पास हो जाएं और चार नमूने विफल हो जाएं। फिर भी, हम सतर्क हैं। हम हमारे देश में दवाओं का गुणवत्तापूर्ण उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए जोखिम-आधारित विश्लेषण जारी रखे हुए हैं।
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