गीदम> हमले में शहीद प्रधान आरक्षक मुन्ना कडती का शव जैसे ही गांव पहुंचा, आंसुओं का सैलाब उमड़ आया। परिजनों के रूदन से हर आंखें नम हो गई। मुन्ना के दो मासूम बच्चे अनाथ हो गए हैं। शहीद मुन्ना का भाई भी डीआरजी में है और नक्सलियों से लोहा ले रहे हैं। खास बात यह है कि मुन्ना पहले नक्सली विचारधारा से जुड़े हुए थे, बाद में उन्होंने नक्सलवाद से किनारा कर लिया और सरेंडर कर फोर्स में जगह ले ली।
दंतेवाड़ा जिले के गीदम ब्लॉक की ग्राम पंचायत मुंडेर के रहने वाले मुन्ना कडती पिता स्व. सुकलू कडती डीआरजी में प्रधान आरक्षक के पद पर थे। मुन्ना कडती प्रारंभ में माओवादी विचारधारा में एरिया कमांडर के पद पर थे और वर्ष 2016 में आत्म समर्पण कर समाज की मुख्य धारा से जुड़ कर 14 फरवरी 2017 में डीआरजी में भर्ती हुए और अपने उत्कृष्ट कार्यों के कारण प्रधान आरक्षक के पद पर पदस्थ थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी रामो कडती, भाई दिनेश कडती, 9 वर्ष का पुत्र किस्मत कडती व 5 वर्ष का पुत्र जगत है। मुन्ना कडती के भाई दिनेश कडती भी डीआरजी में कार्यरत हैं और मातृभूमि की सेवा में लगे हुए हैं।
मौजूद रहे अफसर-नेता
जवान के पार्थिव शरीर के गांव में पहुंचते ही जन समुदाय उमड़ पड़ा। परिजन के रूदन से वहां मौजूद सभी की आंखें नम हो गई। गमगीन माहौल में जवान को अंतिम विदाई दी गई। इस दौरान प्रशासनिक अफसर, नेता मौजूद रहे।
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