नक्सलवाद खत्म करने डीआरजी में हुआ था भर्ती

कासोली कैम्प में रहकर नक्सलियों से लोहा ले रहा था

फोटो….लखमूराम मडकामी

गीदम

डीआरजी के जरिए अपनी जन्म भूमि बस्तर से नक्सलवाद का खात्मा करने का सपना देखने वाले शहीद सिपाही लखमू के परिजनों के सामने अब संकट गुजारा का है। पति की मौत के बाद पत्नी तुले मडकामी और दो पुत्र, पुत्रियों को बिलखते परिजन संबल देने की कोशिश कर रहे हैं। शासन की नीतियों के तहत मिलने वाली मदद ही इस परिवार के लिए बड़ा संबल होगी। लखमू की शहादत से गांव में मातम पसरा हुआ है।

लखमू राम मड़कामी आरक्षक सलवा जुडूम अभियान प्रारंभ होने के बाद अपने गांव को छोड़ राहत कैंप कासोली में रहने लगे थे। बस्तर से नक्सलवाद को खत्म करने के लिए डीआरजी में शामिल हुए । इंद्रावती नदी पार के धुर नक्सल प्रभावित गांव निराम थाना तहसील भैरमगढ़ जिला बीजापुर के रहने वाले लखमू अरनपुर में हुए नक्सल हमले में शहीद होने वाले नव आरक्षकों में से थे। उनकी पत्नी तुले मडकामी गृहणी है। परिवार में उनके पुत्र बामन मडकामी, बुधरू मडकामी, और दो पुत्रियां हैं, जो नक्सल हमले में अनाथ हो गए। उनके पार्थिव शरीर को देखने और उनको अंतिम विदाई देने के लिए आस पास के गांव के बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए और मातृभूमि के लिए अपना सब कुछ न्योछावर करने वाले जवान को नम आंखों से अंतिम विदाई दी। शहीद जवान के अंतिम विदाई में गीदम तहसीलदार हुलेश्वर नाथ खुटे, गीदम थाना के एएसआई कल्याण सोनवाने सहित बड़ी संख्या में जनसमुदाय उपस्थित रहा।

गांव छोड़ दिया था

शहीद लखमू राम मडकामी ने सलवा जुडूम अभियान शुरू होने के बाद गांव छोड़ दिया था और राहत कैंप कासोली में अपने बड़े भाई के साथ रहने लगे थे। इसी दौरान 29 जनवरी 2016 को वे डीआरजी में पदस्थ हुए। सपना था कि बस्तर नक्सलमुक्त इलाका हो जाएगा और इसमें उसकी भी महती भूमिका रहेगी, लेकिन सपना अधूरा रह गया। उनकी भूमिका तो रही, पर लड़ाई का अंत नहीं हो सका।

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