-कोडनानी- बजरंगी समेत 67 बरी, लेकिन कई सवाल अब भी अनुत्तरित
-गोधरा कांड के बाद 2002 में हुआ था गुजरात दंगा
नई दिल्ली। 21 साल बाद अहमदाबाद की निचली अदालत ने गुजरात के नरोदा गाम दंगा मामले में सभी 67 आरोपियों को बरी कर दिया है। इन आरोपियों में गुजरात के पूर्व मंत्री माया कोडनानी, बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी, विश्व हिंदू परिषद के जयदीप पटेल जैसे बड़े नाम भी शामिल थे। साल 2002 में गोधरा में ट्रेन जलने के बाद गुजरात में 9 जगहों पर भीषण दंगा हुआ था। उसमें एक नरोदा गाम भी शामिल था। दंगे में 11 लोग जलाकर मारे गए थे। नरोदा गाम दंगा मामले में एसआईटी कोर्ट ने आरोपियों को भले ही बरी कर दिया है, लेकिन कई ऐसे सवाल हैं जिसका जवाब नहीं मिला है।
11 लोगों का हत्यारा कौन?
साल 2002 में गुजरात में 9 बड़े दंगे हुए, जिसमें गोधरा, गुलबर्ग सोसायटी, नरोदा पाटिया, बेस्ट बेकरी, नरोदा गाम, ओडे विलेज और दीपडा दरवाजा प्रमुख हैं। सभी 9 जगहों पर हुए इस भीषण दंगे में 324 लोग मारे गए थे। नरोदा गाम का फैसला सबसे अंत में आया है। इससे पहले के सभी 8 केसों में 154 लोग दोषी ठहराए गए और उन्हें उम्रकैद तक की सजा मिली। गुजरात दंगे से जुड़े नरोदा गाम केस पहला है, जिसमें एक भी दोषी को सजा नहीं हुई है। ऐसे में सवाल उठता है कि नारोद गाम में मारे गए 11 लोगों की हत्या किसने की?
नानावती कमीशन की रिपोर्ट का क्या?
गुजरात में दंगे के बाद जांच के लिए जस्टिस जीटी नानावती और जस्टिस अक्षय मेहता आयोग बनाया गया। आयोग ने प्रत्यक्षदर्शियों, पुलिस के जवानों और पीड़ित परिवारों के बयान के आधार पर 142 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की। आयोग की इस रिपोर्ट में नरोदा गाम दंगे का भी जिक्र है। रिपोर्ट में पुलिसकर्मियों के हवाले से कहा गया है कि जब नरोदा पाटिया में दंगा भड़क रहा था, उसी वक्ता नरोदा गांव से भी दंगा होने की सूचना आई थी. नरोदा गाम में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ता ही शामिल थे। अब जब फैसला आया है तो नानावती आयोग की यह रिपोर्ट सवाल उठा रही है।
स्टिंग में गुनाह कबूल रहा था बाबू बजरंगी
2007 में तहलका मैगजीन के पत्रकार आशीष खेतान ने गुजरात दंगे को लेकर एक स्टिंग ऑपरेशन किया था। इस स्टिंग में बाबू बजरंगी समेत गुजरात दंगे के कई आरोपी अपना गुनाह कबूल करते दिखे थे। स्टिंग ऑपरेशन आने के बाद मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी भी दाखिल की थी, जिसके बाद कोर्ट ने एक एसआईटी का गठन किया था। अब जबकि इस मामले में फैसला आ गया है और बाबू बजरंगी बरी हो गए हैं तो सवाल उठता है कि स्टिंग में फिर क्या था?
9 चार्जशीट दाखिल, 5 मजिस्ट्रेट बदले
नरोदा गाम केस में 9 चार्जशीट दाखिल किया गया, जिसमें से 3 चार्जशीट एसआईटी की ओर से दाखिल किया गया था। सुनवाई के दौरान 2 सरकारी वकील केस से अलग हो गए. करीब 180 गवाहों को कोर्ट में पेश किया गया। एसआईटी कोर्ट में 13 साल तक चली इस सुनावाई के दौरान 5 मजिस्ट्रेट बदल गए। पीड़ित पक्ष ने मजिस्ट्रेट बदलने को लेकर कई बार सवाल उठाया था।
एसआईटी सजा दिलाने में फिसड्डी
2008 में सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अरिजीत पसायत की बेंच ने गुजरात दंगे मामले की जांच के लिए एसआईटी गठन का आदेश दिया था। शुरू में एसआईटी ने इस मामले में काफी तेजी दिखाई, लेकिन धीरे-धीरे गुजरात दंगे से जुड़े अधिकांश केस ठंडे बस्ते में चला गया। गुजरात दंगे में एसआईटी ने जितने लोगों को अभियुक्त बनाया, उनमें से 70 फीसदी सबूत के अभाव में बरी हो गए।
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