कश्मीर में बड़ी वारदात, पीपुल्स एंटी-फ़ासिस्ट फ्रंट ने ली जिम्मेदारी
पूंछ। जम्मू-कश्मीर में गुरुवार को सेना की गाड़ी में आग लग गई। इस हमले में 5 जवान शहीद हो गए। एक जवान गंभीर रूप से घायल हो गया, जिसका इलाज सेना अस्पताल में चल रहा है। इसे सेना ने आतंकी हमला बताया है। इसकी पुष्टि सेना की तरफ से कर दी गई है। आतंकी संगठन जैश समर्थित पीएएफएफ यानी पीपुल्स एंटी-फ़ासिस्ट फ्रंट ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। एडीजीपी जम्मू और अन्य वरिष्ठ अधिकारी पुंछ पहुंचे।
सेना के एक अधिकारी ने बताया, अपराह्न तीन बजे के करीब पुंछ जिले में भीम्बर गली से संगीओत की ओर जाते समय सेना के एक वाहन में आग लग गई।अधिकारी ने कहा, इस दुखद घटना में सेना के पांच जवान शहीद हो गए। उन्होंने कहा कि घटना के बारे में अन्य विवरण का पता लगाया जा रहा है। कुछ खबरों में कहा गया है कि ‘स्टिकी बम’ या घात लगाकर किए गए हमले की वजह से आग लगी। सेना और पुलिस के जवान घटनास्थल पर पहुंच गए हैं, जो पुंछ से 90 किलोमीटर दूर है। घटना के फुटेज में जलते ट्रक के बगल में सड़क पर पड़े सैनिकों के अधजले शव दिखाई दे रहे हैं। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि जिस समय आग लगी उस समय वाहन में कितने जवान थे। स्थानीय लोग और कुछ सैन्यकर्मी आग बुझाते हुए नजर आए। सूत्रों ने बताया कि सेना और पुलिस मौके पर पहुंची तथा इलाके की घेराबंदी करते हुए राजमार्ग पर वाहनों की आवाजाही रूकवा दी।
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तीन तरफ से हुई फायरिंग
बताया जा रहा है कि आतंकियों ने ग्रेनेड हमले के बाद तीन तरफ से फायरिंग की। माना जा रहा है कि हमले के पीछे चार आतंकी शामिल हैं। हमले के बाद वाहन के फ्यूल टैंक में आग लगी और देखते ही देखते पूरा वाहन आग की चपेट में आ गया। सूत्रों का कहना है कि जब ये हमला हुआ, जवान गाड़ी में सब्जी और अन्य सामान लेकर जा रहे थे।
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उपराज्यपाल ने जताया दुख
हमले को लेकर जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा, पुंछ में एक दुखद घटना में बहादुर सैन्य कर्मियों की जान जाने से मुझे गहरा दुख हुआ है। राष्ट्र के लिए उनकी समृद्ध सेवा को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा। मेरे विचार शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं।
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पुल्स एंटी-फ़ासिस्ट फ्रंट
बता दें कि पीपुल्स एंटी-फ़ासिस्ट फ्रंट पाकिस्तान बेस्ड आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद समर्थित आतंकी संगठन है। कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के बाद से ही पीएएफएफ का नाम सामने आने लगा था। ये आतंकी संगठन अंसार गजवत-उल-हिंद के मारे गए कमांडर जाकिर मूसा से प्रेरित है, जो वैश्विक आतंकी संगठन अल कायदा के लिए भी वफादार माना जाता है।
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