–‘मोदी उपनाम’ केस : सेशंस कोर्ट से नहीं मिली राहत, अब जाएंगे हाईकोर्ट
–मानहानि मामले में दोषसिद्धि पर नहीं लगी रोक
–भाजपा ने खुशी जाहिर की, कांग्रेस बोली- विकल्पाें पर करेंगे विचार
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मोदी सरनेम मामले में गुजरात की सेशंस कोर्ट से राहत नहीं मिली। कोर्ट ने राहुल गांधी के दोषी करार दिए जाने पर रोक की अर्जी खारिज कर दी। निचली अदालत ने राहुल गांधी को मानहानि के मामले में दो साल की सजा सुनाई थी। कांग्रेस अब गुजरात हाईकोर्ट में फैसले को चुनौती देगी।
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राहुल गांधी की अपील खारिज, उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे
सूरत। गुजरात में सूरत की सत्र अदालत ने ‘मोदी उपनाम’ वाले बयान को लेकर एक आपराधिक मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगाने संबंधी याचिका गुरुवार को खारिज कर दी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आर. पी. मोगेरा ने दोषसिद्धि के खिलाफ दायर कांग्रेस नेता की अर्जी आज खारिज कर दी। अगर 52 वर्षीय गांधी की दोषसिद्धि पर रोक संबंधी अर्जी मंजूर हो जाती तो उनकी लोकसभा सदस्यता बहाल होने का रास्ता साफ हो सकता था। यद्यपि भाजपा ने सूरत की अदालत के फैसले को न्यायपालिका की ‘जीत’ करार देते हुए खुशी जाहिर की, लेकिन कांग्रेस ने कहा कि वह कानून के तहत उपलब्ध सभी विकल्पों का इस्तेमाल करेगी। गांधी के वकील किरीट पानवाला ने कहा कि सत्र अदालत के आदेश को गुजरात उच्च न्यायालय में चुनौती दी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि सत्र अदालत ने निचली अदालत के 23 मार्च के फैसले के खिलाफ अपील की सुनवाई के लिए 20 मई की तारीख मुकर्रर की है। गांधी ने निचली अदालत के आदेश के खिलाफ तीन अप्रैल को सत्र अदालत का रुख किया था। उनके वकील ने गांधी को दो साल की सजा के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दायर मुख्य अपील के साथ दो अर्जियां भी दायर की थीं, जिनमें एक अर्जी जमानत के लिए थी, जबकि दूसरी अर्जी मुख्य अपील के निस्तारण तक दोषसिद्धि पर रोक के लिए। गांधी की अर्जी खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि उनके वकील यह प्रदर्शित करने में विफल रहे कि यदि उन्हें (गांधी को) दोषसिद्धि पर रोक न लगने के कारण जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) के तहत चुनाव लड़ने के अवसर से वंचित किया जाता है, तो उन्हें ‘अपरिवर्तनीय और अप्रतिसंहरणीय क्षति’ होने की संभावना है।” राहुल गांधी 2019 के लोकसभा चुनाव में केरल के वायनाड से सांसद बने थे।
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कोर्ट ने फैसले में क्या कहा?
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि जैसा कि शीर्ष अदालत ने कई फैसलों में कहा है, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 389(1) के तहत दोषसिद्धि को निलंबित/रोकने के लिए दी गई शक्ति को ‘सावधानी और समझदारी के साथ’ इस्तेमाल करने की आवश्यकता है। अगर इस तरह की शक्ति का आकस्मिक और यांत्रिक तरीके से प्रयोग किया जाता है, तो इसका न्याय वितरण प्रणाली को लेकर जनता की धारणा पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। इस तरह के आदेश से न्यायपालिका में जनता का विश्वास हिल जाएगा। अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता ने अपने खिलाफ दर्ज दोषसिद्धि को निलंबित करने के लिए कोई पुख्ता आधार नहीं बनाया है।
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दो साल की सुनाई थी सजा
कांग्रेस नेता ने कर्नाटक के कोलार में 2019 के दौरान एक चुनावी रैली में कहा था-‘सभी चोरों का मोदी उपनाम कैसे हो सकता है’? इस टिप्पणी पर दोषी ठहराते हुए कोर्ट ने राहुल गांधी को दो साल कैद की सजा सुनाई थी। गांधी के वकील पानवाला ने कहा कि कांग्रेस नेता अदालत के तीन अप्रैल के आदेश के अनुसार अपनी मुख्य अपील के निस्तारण तक जमानत पर बाहर रहेंगे।
जयराम बोले- सभी विकल्पों पर करेंगे विचार
कांग्रेस ने अपने पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को गुजरात की एक सत्र अदालत से राहत नहीं मिलने के बाद कहा कि वह इस मामले में सभी कानूनी विकल्पों का उपयोग जारी रखेगी। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, कानून के तहत जो भी विकल्प हमारे लिए उपलब्ध होंगे, हम उन सभी विकल्पों का लाभ उठाना जारी रखेंगे।
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पात्रा बोले- गांधी के अहंकार पर करारा प्रहार
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, अदालत का फैसला गांधी परिवार, खासकर राहुल गांधी के अहंकार पर करारा प्रहार है। उन्होंने कहा कि अदालत का फैसला यह भी साबित करता है कि कानून सभी के लिए बराबर है और वह किसी भी प्रकार के दवाब के आगे झुकता नहीं है। आज के फैसले से एक बात स्पष्ट है कि इस देश में संविधान का राज है, परिवार का राज नहीं है। और किसी भी परिवार के लिए अलग कानून नहीं हो सकता।
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