अमेरिका ने चुनावी गड़बड़ी मामले में चार अमेरिकी, तीन रूसी नागरिकों पर आरोप लगाए

सेंट पीटर्सबर्ग (अमेरिका), 19 अप्रैल (एपी) अमेरिका में चुनाव को अवैध तरीके से प्रभावित करने, समाज में विद्वेष पैदा करने और रूसी दुष्प्रचार को गति देने के मामले में अश्वेत सशक्तिकरण और राजनीतिक संगठन से जुड़े चार अमेरिकियों के अलावा तीन रूसी नागरिकों पर आरोप लगाए गए हैं। मंगलवार को सामने आए आरोपपत्र से यह जानकारी मिली। चार अमेरिकी नागरिक अफ्रीकन पीपुल्स सोशलिस्ट पार्टी और उहुरू आंदोलन का हिस्सा हैं, जो सेंट पीटर्सबर्ग, फ्लोरिडा और सेंट लुइस में सक्रिय हैं। आरोपियों में शामिल ओमाली येशिटेला उस अमेरिकी संगठन के प्रमुख हैं, जिस पर पिछले साल गर्मियों में संघीय जांच एजेंसी एफबीआई ने छापेमारी की थी। न्याय विभाग में राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभाग के सहायक अटॉर्नी जनरल मैथ्यू ऑलसेन ने कहा, ‘‘रूस की विदेशी खुफिया सेवा ने कथित तौर पर हमारे अधिकारों को प्रभावित किया, अमेरिकियों को विभाजित करने और अमेरिका में चुनावों में हस्तक्षेप करने का प्रयास किया।” ऑलसेन ने कहा कि विदेशी हितों को लाभ पहुंचाने के लिए अमेरिकी समाज में विभाजन पैदा करने और चुनावों में हस्तक्षेप का प्रयास करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वे अमेरिकी नागरिक हों या विदेशी नागरिक हों।
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अविवाहित बेटियों को भी विवाह खर्च पाने का अधिकार

  • हाई कोर्ट ने दिया पिता को झटका

तिरुवनंतपुरम। केरल हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि किसी भी अविवाहित बेटी को अपने पिता से उचित विवाह खर्च पाने का अधिकार है। भले ही वह किसी भी धर्म से ताल्लुक रखती हो। जस्टिस अनिल के नरेंद्रन और जस्टिस पीजी अजित कुमार की खंडपीठ ने कहा कि इस अधिकार को किसी भी धर्म की मान्यता की आड़ में खत्म नहीं किया जा सकता है। दो जजों की खंचपीठ ने कहा, “एक अविवाहित बेटी का अपने पिता से विवाह संबंधी उचित खर्च पाने का अधिकार, धार्मिक अड़चनों के आड़े नहीं आ सकता। यह हर अविवाहित बेटी का अधिकार है, चाहे उसका धर्म कुछ भी हो। किसी भी धर्म के आधार पर इस तरह के अधिकार में भेदभावपूर्ण व्यवहार नहीं किया जा सकता है।” खंडपीठ ने एक पिता के खिलाफ दो अविवाहित बेटियों की याचिका पर ये फैसला सुनाया है। याचिका दायर करने वाली दोनों बेटियों ने अपनी शादी के खर्च के लिए 45.92 लाख रुपये की राशि की डिक्री जारी करने और अपने पिता की संपत्ति पर डिक्री की मांग करते हुए एक पारिवारिक अदालत का रुख किया था। बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों बेटियों ने अपनी अर्जी में अपने पिता को उस संपत्ति को अलग करने से रोकने के लिए एक अस्थायी निषेधाज्ञा भी मांगी, जिसका उन्होंने दावा किया था कि उनकी मां और उनके परिवार की वित्तीय मदद से वह संपत्ति खरीदी गई थी।

बेटियां ले रहीं उच्च शिक्षा

पारिवारिक अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता शादी के लिए केवल न्यूनतम आवश्यक खर्चों का दावा करने की हकदार हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि ₹7.5 लाख की राशि की कुर्की बेटियों के हितों की रक्षा के लिए पर्याप्त होगी। दोनों लड़कियों ने कोर्ट को बताया कि दोनों उच्च अध्ययन कर रही हैं और उनके पिता ने उसके लिए किसी तरह की आर्थिक मदद नहीं की है। पिता ने हाई कोर्ट में दावा किया था कि उनकी बेटियाँ और उनकी मां पेंटाकोस्ट ईसाई हैं और यह समुदाय गहनों के उपयोग में विश्वास नहीं करता है। इसलिए, आमतौर पर शादियों के लिए सोने के गहनों का खर्च उनकी बेटियों के मामले में सटीक नहीं बैठता है। इस पर कोर्ट ने बिना धार्मिक भेदभाव के अविवाहित बेटियों को उचित विवाह खर्च पाने का हकदार माना।

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