-वीडियो वायरल, चेहरे पर तिरंगा पेंट करवा कर आई थी महिला
-शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महासचिव ने माफी मांगी
(फोटो : मंदिर12)
अमृतसर। अमृतसर के प्रसिद्ध गोल्डन टेंपल में एक लड़की को सिर्फ इसलिए एक शख्स ने प्रवेश करने से रोक दिया क्योंकि कथित तौर पर उसके चेहरे पर भारत का तिरंगा पेंट हुआ था। इस घटना से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें शख्स लड़की को यह कहते हुए रोकता हुआ दिखाई दे रहा है कि यह पंजाब है, इंडिया नहीं…हालांकि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महासचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने इस दुर्व्यवहार के लिए माफी मांगी है और कहा है कि महिला के चेहरे पर चित्रित झंडा तिरंगा नहीं था।
‘यह पंजाब है, इंडिया नहीं’
वीडियो में देखा जा सकता है कि महिला और गोल्ड टेंपल के एक अधिकारी के बीच बहस होती है और इसके बाद वह आदमी भड़क जाता है। वीडियो क्लिप में देखा जा सकता है कि एक शख्स मंदिर के पीली पगड़ी वाले पदाधिकारी से इस बात को लेकर बहस कर रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में एक शख्स पूछता हुआ नज़र आ रहा है- ‘हां जी सरदार जी, आपने इस गुड़िया को अंदर जाने से रोका,क्या कारण है? दूसरी तरफ से जवाब आया – ‘ये फ्लेग साफ करवाइए’ उससे पूछा गया क्यों यह इंडिया नहीं है? तो उसने जवाब दिया कि ‘यह पंजाब है।’ महिला जब कहती है कि यह भारत का झंडा है तो जवाब मिलता है, ‘यह पंजाब है, भारत नहीं।’ वीडियो में यह भी सुनाई देता है कि महिला कहती है, बकवास बात बोल रहे हो आप,,,,यह इंडिया नहीं है क्या? इसके बाद अधिकारी कहता है कि यह गोल्डन टेंपल है। पुरुष सवाल करता है कि गोल्डन टेंपल कहां है, इंडिया में है या नहीं? बता दें, बीटिंग रिट्रीट समारोह के लिए अटारी-वाघा सीमा पर जाने वाले बहुत से लोग अपने चेहरे तिरंगे में रंगवाते हैं और फिर स्वर्ण मंदिर जाते हैं। यह एक ऐसा मामला हो सकता है।
लोगों ने उठाए सवाल
सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि मौजूदा एसजीपीसी अलगाववादियों का समर्थन कर रहा है। एक अन्य यूजर ने लिखा, अब स्वर्ण मंदिर के अंदर कनाडाई, खालिस्तानी झंडों को अनुमति दी जाएगी? यह आखिर किस तरह का व्यवहार है? यह भारत है और पंजाब भी भारत का ही हिस्सा है।
गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का बयान
(फोटो : मंदिर3)
हालांकि इस मामले को लेकर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी महासचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल का बयान भी सामने आया है। ग्रेवाल ने इस मामले को लेकर एक बयान देते हुए कहा कि यह एक सिख धर्मस्थल है, हर धार्मिक स्थान की अपनी मर्यादा होती है… हम सभी का स्वागत करते हैं… अगर किसी अधिकारी ने दुर्व्यवहार किया है तो हम क्षमा चाहते हैं… उसके चेहरे पर लगा झंडा हमारा राष्ट्रीय ध्वज नहीं था क्योंकि उसमें अशोक चक्र नहीं था। यह एक राजनीतिक झंडा हो सकता था।
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