वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की आम बजट 2023 में गरीबों के लिए विशेष घोषणा
सीखचों के पीछे बंदियों की फोटो लगाएं ……
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने जेल में बंद गरीब लोगों के लिए एक नई योजना शुरू करने का फैसला किया है। योजना के तहत सरकार गरीब लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। सरकार का मानना है कि इससे जेलों में बढ़ रहा बोझ भी घटेगा। गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि योजना से गरीब कैदी जैसे सामाजिक रूप से कमजोर, अशिक्षित और निम्न आय स्तर से संबंधित लोगों की मदद की जाएगी। इस योजना से सरकार उन्हें जेल से बाहर निकलने में वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। जेल में बंद गरीब लोगों तक योजना का लाभ पहुंचे, इसके लिए ई-प्रिजन प्लेटफॉर्म को मजबूत किया जाएगा। कानूनी सेवा संगठनों को भी मजबूत किया जाएगा।
गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण-2023 में गरीब कैदियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की घोषणा की थी।
वित्त मंत्री ने जेलों में बंद गरीब कैदियों पर लगाए गए जुर्माने और जमानत पर आने वाली लागत का पैसा सरकार की तरफ से दिए जाने की घोषणा की है जिसके तहत यह कदम उठाया जा रहा है। निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि जेलों में बंद गरीब कैदियों को जमानत लेने के लिए जो भी खर्च करना होगा उसका भार सरकार उठाएगी।
बंदियों की समस्याओं का हल करेगी
इसमें वह लोग शामिल हैं, जो दंड या जमानत राशि नहीं भर सकते। गृह मंत्रालय ने कहा कि सरकार विचाराधीन कैदियों की समस्याओं को हल करने के लिए कदम उठा रही है। मंत्रालय ने कहा कि आईपीसी में धारा 436 ए और सीआरपीसी में एक नया अध्याय 21ए प्ली बारगेनिंग शामिल करना है।
मंत्रालय राज्य को देता है फंड
गृह मंत्रालय समय-समय पर राज्य सरकारों दिशा-निर्देश देता है। विभाग जेलों को सुरक्षित और आधुनिक बनाए रखने के लिए राज्य सरकारों को वित्तीय सहायता भी प्रदान कर रहा है। मंत्रालय ने कहा कि विभिन्न स्तरों पर गरीब कैदियों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान की जा रही है। वित्तीय सहायता लोगों तक पहुंचे अब यह सुनिश्चित करना होगा
जुर्माना अदा न करने के कारण हैं जेल में
गौरतलब है कि दिल्ली की तिहाड़ सहित मंडोली, रोहिणी आदि जेलों में ही लिमिट से कई गुना ज्यादा कैदी बंद हैं। अभी भी बड़ी संख्या में जेलों में ऐसे विचाराधीन कैदी हैं जो जुर्माने की राशि या जमानत का खर्च उठाने में असक्षम हैं। बताया गया कि जमानत दिए जाने के बावजूद 5000 विचाराधीन कैदियों में से सिर्फ 1417 ही राशि भरकर रिहा हो पाए थे।
सामाजिक संगठन व एनजीओ करते हैं मदद
ज्ञात हो कि बीच-बीच में कुछ सामाजिक संगठन या व्यापारी वर्ग के कुछ लोग ऐसे कैदियों के लिए आगे आते रहते हैं। वे जुर्माने की रकम अदा कर कैदियों को रिहा करा देते हैं, लेकिन ऐसे कैदियों की तादाद इतनी ज्यादा है कि एनजीओ या समाज सेवियों के काम का असर काफी बड़े स्तर पर नहीं हो पाता। इसे देखते हुए ही अब सरकार इन कैदियों के लिए आगे आई है।
मुस्लिमों को सबसे ज्यादा फायदा
ये दिलचस्प है कि देशभर की जेलों में बड़ी संख्या में मुस्लिम कैदी बंद हैं। साल 2021 के नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के डाटा के मुताबिक भारत की जेलों में तकरीबन 30 फीसदी मुस्लिम कैदी बंद हैं। भारत में कुल 14.2 फीसद ही मुस्लिम पॉपुलेशन है। इस तरह से देखें तो सरकार की तरफ से शुरू की जा रही इस मुहिम से बड़ी तादाद में मुसलमानों को फायदा होगा।
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