सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी- सोच-समझकर दें अदाणी पर तर्क, सीधा शेयर बाजार पर पड़ता है असर

निवेशकों को हुए नुकसान पर जताई चिंता, सुधार के लिए सेबी से मांगा सुझाव

नई दिल्ली। हिंडनबर्ग रिपोर्ट और अदाणी समूह को लेकर जारी विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने याचिकाकर्ताओं का पक्ष जाना और कड़ी हिदायत भी दी। कोर्ट ने कहा कि अदाणी मामले में जो कुछ भी तर्क दे रहे हैं, वो सोच-समझकर ही देना चाहिए, क्योंकि इसका सीधा असर शेयर मार्केट पर पड़ता है। कोर्ट ने एक जांच कमेटी पर भी विचार करने का संकेत दिया है। अब मामले में सोमवार 13 फरवरी को सुनवाई होगी और जांच कमेटी के संबंध में फैसला आएगा।

सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट विशाल तिवारी और एमएल शर्मा ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच कराए जाने की मांग की है। याचिकाकर्ता वकील विशाल तिवारी ने कहा कि यह मामला राष्ट्र की साख से जुड़ा है। ऐसे में हिंडनबर्ग ग्रुप के खिलाफ जांच की जाए। याचिका में शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता वाली एक कमेटी बनाने की मांग रखी है। इसके साथ ही अडानी-हिंडनबर्ग विवाद में शॉर्ट सेलिंग की ‘साजिश’ का भी आरोप लगाया है।

कुछ भी कहने सुप्रीम कोर्ट का उपयोग न करें : सुप्रीम कोर्ट

याचिकाकर्ता एमएल शर्मा ने कहा कि जिस व्यक्ति ने यह रिपोर्ट जारी की है, उसको लाभ हुआ है। इस पर सीजेआई ने टिप्पणी की और पूछा- आपकी याचिका का उद्देश्य निवेशकों की सुरक्षा करना है? कृपया इस मंच का उपयोग कुछ भी कहने के लिए ना करें, जो निवेशकों और बाजारों को प्रभावित करता हो। सुप्रीम कोर्ट में बोला गया हर एक शब्द बाजार की धारणा को प्रभावित कर सकता है। क्या कहा जा रहा है, इसके बारे में सोच-समझ कर बोलें।

चंद मिनटों में प्रभावित हो जाता है बाजार

एसजी मेहता ने कहा कि ट्रिगर प्वाइंट ये है कि रिपोर्ट बाहर की है और हमारा उस पर कोई नियंत्रण नहीं है। सीजेआई ने कहा- सेबी के तमाम मामलों की सुनवाई का अनुभव होने से हम इन मामलों के बारे में जानते समझते हैं। सिर्फ 3 से 4 मिनट में शेयरों की कम बिक्री के कारण बाजार में शेयरों की संख्या कम हो जाती है और उसकी वजह से शेयर खरीदने वाले को नुकसान उठाना पड़ता है।

निवेशकों की चिंता, समिति बनाने का दिया सुझाव

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि भारतीय निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तंत्र होना चाहिए। साथ ही शीर्ष अदालत ने मौजूदा नियामक ढांचे पर वित्त मंत्रालय और सेबी से जानकारी मांगी है। शीर्ष अदालत ने इस क्षेत्र के विशेषज्ञों और अन्य की समिति बनाने का सुझाव दिया, ताकि निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए मजबूत प्रक्रिया अपनाई जा सके।

क्या हम कमेटी बनाने पर विचार कर सकते हैं

सीजेआई ने कहा- हम नीति के क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते हैं लेकिन क्या इस पर विचार किया जा सकता है, यदि नीति परिवर्तन की आवश्यकता है। सीजेआई ने कहा कि क्या हम एक एक्सपर्ट कमेटी, संभवतः बैंकिंग, निवेश क्षेत्र से, एक रिटायर जज के रूप में कमेटी बनाने पर विचार कर सकते हैं। बेंच ने कहा कि आप सोमवार को हमें बता सकते हैं कि मौजूदा प्रक्रिया क्या है और क्या हम मौजूदा शासन पर विचार कर सकते हैं और विशेषज्ञों की एक समिति बना सकते हैं।

मामले की जांच कर रही है सेबी : मेहता

सुनवाई के दौरान एडवोकेट विशाल तिवारी ने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में क्या दिया गया है, हम बताएंगे। हम चाहते हैं कि कोर्ट शॉर्ट सेलिंग को देखने के लिए एक कमेटी नियुक्त करे। सेबी की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सेबी मामले को देख रही है। बेंच ने कहा कि हमें अपनी याचिका के संबंध में जानकारी दें। याचिकाकर्ता ने कहा कि ये एक रिट याचिका सिविल है।

अदाणी ने कानूनी लड़ाई अमेरिकी लॉ फर्म हायर

अमेरिकी रिसर्च फर्म की रिपोर्ट से हुए भारी नुकसान और ग्रुप को पहुंची ठेस को लेकर गौतम अदाणी अब आर-पार की लड़ाई का मन बना चुके हैं। शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग को करारा जवाब देने के लिए अब अदाणी ग्रुप ने बदले की तैयारी के तहत कानूनी लड़ाई शुरू कर दी है। अदाणी ग्रुप ने अमेरिकी लीगल फर्म वॉचटेल को चुना है। ये फर्म दुनिया में फेमस है और इसकी सबसे ज्यादा चर्चा विवादित मामलों में लीगल फाइट करने को लेकर होती रही है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अदाणी ग्रुप को लेकर निवेशकों के सेटिंमेंट पर पड़े विपरीत प्रभाव और उन्हें फिर से आश्वस्त करने की दिशा में उठाया गया अडानी का ये बड़ा कदम है।

अब 13 फरवरी को होगी सुनवाई

हिंडनबर्ग-अदाणी मामले पर सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने शीर्ष अदालत को बताया कि बाजार नियामक सेबी, अन्य वैधानिक निकाय जरूरी कदम उठा रहे हैं। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि शेयर बाजार आमतौर पर भावनाओं पर चलता है, हम इस मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं। उच्चतम न्यायालय ने अदाणी समूह पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच के अनुरोध संबंधी दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई 13 फरवरी को तय की।

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