पूर्व कलेक्टर मेनन ने आरोपी को पहचानने से किया इंकार

कलेक्टर अपहरण मामले में नया मोड़

एएनआई न्यायालय में बतौर 16 वें गवाह के रूप में पेश हुए थे मेनन

दो सुरक्षाकर्मी की हत्या व अपहरण के अभियुक्त हेमला को नहीं पहचाने मेनन

लीलाधर राठी : सुकमा

सुकमा जिले के बहुचचर्चित कलेक्टर अपहरण कांड में उस वक्त नया मोड़ आ गया जब स्वयं आईएएस अलेक्स पॉल मेनन ने अभियुक्त को पहचानने से इंकार कर दिया। एएनआई न्यायालय दंतेवाड़ा में बतौर अभियुक्त हेमला उर्फ आकाश को व मेनन बतौर 16 वें गवाह के रूप में पेश हुए। वहीं विशेष लोक अभियोजन ने भी कहा कि घटना काफी पुरानी होने के वजह से पहचानने में दिक्कतें आ रही है।

सुकमा जिले में 21 अप्रेल 2012 को हुए बहुचर्चित कलेक्टर अलेक्स पॉल मेनन मामले में आज सुनवाई हुई। इस दौरान स्वयं तत्कालीन कलेक्टर व नक्सलियों द्वारा अपह्रत आईएएस अलेक्स पॉल मेनन न्यायधीश दीपक कुमार देशलहरे की अदालत में पेश हुए। इस दौरान इस घटना में प्रमुख आरोपी हेमला उर्फ आकाश को भी पेश किया गया था। वहीं सुकमा के तत्कालीन कलेक्टर ने न्यायालय के समक्ष उक्त अभियुक्त को पहचानने से इंकार कर दिया।

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पूर्व कलेक्टर ने कहा कि……

न्यायधीश दीपक कुमार देशलहरे के समक्ष उपस्थित पूर्व कलेक्टर अलेक्स पॉल मेनन ने कहा कि मैं 8 दिसंबर 2011 से 3 अगस्त 2012 तक सुकमा में जिलाधीश के पद पर पदस्थ था। अप्रैल 2012 में एक माह तक ग्राम सुराज अभियान शिविर का आयोजन राज्य स्तर पर आयोजित किया जाना था, उसी तारतम्य में हमारे जिला सुकमा के माध्यम से ग्राम केरलापाल के मांझीपारा में 21 अप्रैल 2012 को जन समस्या निवारण शिविर जिला स्तरीय आयोजित किया गया था, जिसमें जिलाधीश के नाते उक्त कार्यक्रम में सम्मलित होने अपने स्टाफ एवं सुरक्षागार्ड के साथ गया हुआ था तथा उक्त कार्यक्रम में अन्य विभाग के अधिकारी, कर्मचारी एवं उस शिविर में गांव के लोग भी बहुत संख्या में उपस्थित थे। श्री मेनन ने कहा कि मैं पंडाल में बैठकर जल संरक्षण कार्यों का नक्शा का अवलोकन कर रहा था, उसी समय वहां पर गोली चलने की आवाज आई। गोली की आवाज सुनकर मैं अपने आपको बचाने के लिए जमीन के नीचे लेट गया था और बाकी अधिकारी लोग इधर–उधर भाग गये, उसके बाद मैंने देखा कि मेरे एक गनमैन किशुन कुजूर जमीन के नीचे पड़ा हुआ था, उसी समय किसी व्यक्ति ने कहा कि साहब आप भाग जाइये, तब मैं भाग कर अपने वाहन से आगे जा रहा था, तभी रास्ते में 3–4 बंदूकधारी नकाबपोश लोगों ने हमारी गाड़ी को रोक लिये, रोककर हम सभी को गाड़ी से उतारकर पूछे कि कलेक्टर कौन है, फिर मैं सामने आया, फिर वे लोग मेरे हाथ को रस्सी (दुपट्टा) से और आंख में पट्टी बांध दिये, फिर खींचते हुए मुझे जंगल की ओर कहीं ले जाकर 10 मिनट बाद मेरे आंख को खोले।

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रिहा होने के बाद पता चला कि….

एएनआई न्यायालय में सुकमा के तत्कालीन कलेक्टर अलेक्स पॉल मेनन ने बतौर गवाह कहा कि नक्सलियों के द्वारा अपने साथ जंगल में 13 दिन तक रखे हुए तथा मुझे 12 वें दिन पता चला कि नक्सलियों की मांग पूरी हो गई है और मुझे छोड़ने वाले हैं, तब मुझे 13 वें दिन चिंतलनार के पास जंगल में लाकर छोड़ दिये थे और मुझे लेने के लिए मिडिएटर बी. डी. शर्मा, प्रोफेसर हरगोपाल आये थे, वे लोग मुझे वहां से लेकर चिंतलनार आये थे। मैं जब वहां से वापस आया तब मुझे पता चला कि उक्त गोलीबारी में गनमैन किशन कुजूर और अमजद खान को गोली लगी थी और उक्त गोली से उनकी मृत्यु हो गई थी।

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मैं अभियुक्त को भविष्य में भी नहीं पहचान पाउंगा….

चेन्नई से दंतेवाड़ा पहुंचे अलेक्स पॉल मेनन ने 16 वें गवाह के रूप में कहा कि मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि नक्सलियों द्वारा मेरा अपहरण क्यों किया गया था, संभवत: अपनी मांगे मनवाने के लिए उन्होंने मेरा अपहरण किया था। मैंने नक्सलियों में शामिल होने वालों में उनकी पार्टी में पुकारे जाने वाले नामो में बिज्जू, लाल, प्रमीला, आकाश, भीमा, हिड़मा इत्यादि नाम सुना था। घटना काफी पुरानी है, इसलिए मैं अभियुक्त गणेश उईके, रमन्ना, पापाराव, विजय मड़कम, आकाश, हुंगी, उणमला मल्ला, निलेश, हिड़मा, हेमला भीमा उर्फ आकाश, मुकेश, भीमा, देवा व 125 अन्य नक्सली को भविष्य में भी नहीं पहचान पाउंगा।

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मामला विचाराधीन है : बिचेम पोंदी

इस मामले में बचाव पक्ष के अधिवक्ता बिचेंम पोंदी ने कहा कि पूर्व के अन्य मामलों में हेमला भीमा उर्फ आकाश को दोषमुक्त किया जा चुका है। इस मामले में इससे पूर्व में भी लगभग सभी अभियोजन साक्षी ने भी अभियोजन के कथा का समर्थन नहीं किया है।

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घटना पुरानी होने के वजह से दिक्कत : शर्मा

इस मामले में विशेष लोक अभियोजन श्रीमती ममता शर्मा ने कहा कि घटना काफी पुरानी होने की वजह से गवाहो के द्वारा अभियुक्तों को पहचानने में दिक्कत आ रही है। श्रीमती शर्मा ने कहा कि अपहरण के दौरान भी आरोपियों को पार्टी के नाम से पुकारते थे। आज हुए गवाही में दोनो ही पक्षों ने एक दूसरे को पहचानने सें इंकार कर दिया।

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