-केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा
नई दिल्ली। केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि भारत में इस्लामिक शासन स्थापित करने के सिमी के मंसूबों को कामयाब नहीं होने दे सकते। साथ ही केंद्र ने कहा कि प्रतिबंधित संगठन के कार्यकर्ता अब भी विघटनकारी गतिविधियों में संलिप्त हैं जो देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को खतरे में डालने में सक्षम हैं। स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही शीर्ष अदालत में दाखिल जवाबी हलफनामे में केंद्र ने कहा है कि संगठन के कार्यकर्ता अपने सहयोगियों के साथ ‘नियमित संपर्क’ में हैं और अन्य देशों में स्थित आका तथा उनके कार्य भारत में शांति व सांप्रदायिक सद्भाव को बाधित कर सकते हैं।
गृह मंत्रालय के अवर सचिव द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है, ‘‘उनके (सिमी) घोषित उद्देश्य हमारे देश के कानूनों के विपरीत हैं। विशेष रूप से भारत में इस्लामिक शासन स्थापित करने के उनके मंसूबों को किसी भी परिस्थिति में सफल नहीं होने दिया जा सकता।” न्यायमूर्ति एस के कौल, न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ के समक्ष बुधवार को मामले पर सुनवाई हुई।
ये है मामला
हलफनामे में कहा गया कि सिमी 25 अप्रैल, 1977 को अलीगढ़ में जमात-ए-इस्लामी-हिंद (जेईआईएच) में विश्वास रखने वाले युवाओं और छात्रों के एक संगठन के रूप में अस्तित्व में आया तथा 1993 में इसने खुद को स्वतंत्र संगठन घोषित कर दिया। याचिकाकर्ता ने 29 जुलाई, 2019 को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून, 1967 के तहत गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम न्यायाधिकरण द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी है। न्यायाधिकरण ने सिमी को गैरकानूनी संगठन घोषित करने की पुष्टि की थी। केंद्र ने इसी याचिका के जवाब में हलफनामा दाखिल किया है।

