तेलंगाना सरकार को झटका
हैदराबाद। तेलंगाना उच्च न्यायालय ने भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के विधायकों की खरीद-फरोख्त की कथित कोशिश के मामले की जांच सोमवार को सीबीआई को हस्तांतरित कर दिया। मामले की जांच अब तक राज्य पुलिस की एक विशेष जांच टीम कर रही थी। उच्च न्यायालय ने एसआईटी भंग कर दी और पुलिस द्वारा अब तक की गई जांच भी रद्द कर दी। मामले में तीन आरोपियों द्वारा दायर रिट याचिकाओं और मामले को एसआईटी से किसी स्वतंत्र एजेंसी या सीबीआई को हस्तांतरित करने के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अनुरोध पर सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने तकनीकी आधार पर भाजपा की याचिका खारिज कर दी। हालांकि, उच्च न्यायालय ने आरोपियों की याचिकाओं को स्वीकार कर लिया और जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंप दी। याचिकाकर्ताओं ने मामले की जांच एक स्वतंत्र एजेंसी से कराने का अनुरोध करते हुए कहा था कि निष्पक्ष जांच संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त मूल अधिकारों का हिस्सा है। रामचंद्र भारती उर्फ सतीश शर्मा, नंदु कुमार और सिम्हायजी स्वामी नाम के तीन व्यक्तियों को मामले में नामजद आरोपी बनाया गया है। दरअसल, बीआरएस विधायक पायलट रोहित रेड्डी सहित चार विधायकों ने उनके खिलाफ 26 अक्टूबर को एक शिकायत दायर की थी। तीनों नामजद आरोपियों को उस वक्त गिरफ्तार कर लिया गया, जब वे सत्तारूढ़ बीआरएस के चार विधायकों को प्रलोभन देने की कथित तौर पर कोशिश कर रहे थे। हाल में, उन्हें उच्च न्यायालय ने जमानत दी थी।
100 करोड़ की पेशकश
प्राथमिकी की प्रति के मुताबिक, रोहित रेड्डी ने आरोप लगाया था कि आरोपियों ने उन्हें 100 करोड़ रुपये की पेशकश की थी। इसके बदले में विधायकों को टीआरएस (अब बीआरएस) छोड़ना था। अगला विधानसभा चुनाव भाजपा उम्मीदवार के रूप में लड़ना पड़ता।
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