मोदी सरकार ने संसद में कहा… ‘रामसेतु के अस्तित्व का अब तक पुख्ता प्रमाण नहीं’

नासा ने 1993 में रामसेतु की सैटेलाइट तस्वीरें जारी कर इसे मानव निर्मित पुल बताया था

नई दिल्ली। प्राचीन कथाओं के अनुसार भारत और श्रीलंका के बीच बने रामसेतु का मुद्दा शुक्रवार को संसद में फिर उठाया गया। राज्यसभा में उठे इससे जुड़े प्रश्न पर केंद्र सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने जवाब दिया कि रामसेतु के वास्तविक स्वरूप के बारे में कुछ कह पाना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि समुद्र में कुछ आइलैंड और चूना पत्थर जैसी चीजें भी मिली हैं। हालांकि कुछ संकेत ऐसे भी हैं, जिनसे ये पता चलता है कि वहां कोई स्ट्रक्चर मौजूद हो सकता है।

दरअसल, हरियाणा से निर्दलीय सांसद कार्तिकेय शर्मा ने राज्यसभा में पूछा था कि क्या सरकार हमारे गौरवशाली इतिहास को लेकर कोई साइंटिफिक रिसर्च कर रही है? क्योंकि पिछली सरकारों ने इस मुद्दे को महत्व नहीं दिया। सरकार लगातार प्राचीन द्वारका और ऐसे मामलों की जांच के लिए काम कर रही है। जितेंद्र सिंह ने कहा, मुझे इस बात की खुशी है कि हमारे सांसद ने रामसेतु के मुद्दे पर सवाल किया। साफ शब्दों में कहा जाए तो ये कहना मुश्किल है कि रामसेतु का वास्तविक स्वरूप वहां मौजूद है। बता दें कि 1993 में नासा ने इस रामसेतु की सैटेलाइट तस्वीरें जारी की थीं जिसमें इसे मानव निर्मित पुल बताया गया था. हालांकि, इसे लेकर भारत में लगातार बहस होती रही है.

यह करीब 18 हजार साल पुराना इतिहास

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि ये करीब 18000 साल पुराना इतिहास है। ऐसे में हमारी कुछ सीमाएं हैं। उन्होंने कहा, जिस ब्रिज की बात हो रही है, वह 56 किलोमीटर लंबा था। स्पेस टेक्नोलॉजी के जरिए हमने पता लगाया कि समुद्र में पत्थरों के कुछ टुकड़े पाए गए हैं, इनमें कुछ ऐसी आकृति है जो निरंतरता को दिखाती हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि कुछ संकेत ऐसे भी हैं, जिनसे ये पता चलता है कि वहां कोई स्ट्रक्चर मौजूद हो सकता है।

सभी भक्तजन कान खोलकर सुन लो : कांग्रेस

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने सरकार के जवाब को ट्विटर पर शेयर करते हुए लिखा, सभी भक्तजन कान खोल कर सुन लो और आँखें खोल कर देख लो। मोदी सरकार संसद में कह रही है कि रामसेतु होने का कोई प्रमाण नहीं है। ज्ञात हो कि अभी तक भाजपा कांग्रेस पर रामसेतु के अस्तित्व को न मानने का आरोप लगाकर कांग्रेस पर निशाना साधती रही है। अब केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह द्वारा संसद में दिए गए जवाब ने कांग्रेस को पलटवार का मौका दे दिया है।

रामेश्वर से मन्नार द्वीप तक स्थित है रामसेतु

भारत के रामेश्वरम और मन्नार द्वीप के बीच चूने की चट्टानों की चेन है। इसे भारत में रामसेतु के नाम से जाना जाता है। इस पुल की लंबाई लगभग 30 मील (48 किमी) है। इस इलाके में समुद्र बेहद उथला है। जिससे यहां बड़ी नावें और जहाज चलाने में खासी दिक्कत आती है। कई पौराणिक कथाओं में दावा किया गया है कि राम ने सीता को रावण की कैद से आजाद कराने के लिए इस पुल का निर्माण कराया था। उस वक्त उनके साथ मौजूद बंदरों की सेना ने पत्थरों से इसका निर्माण किया था।

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