ईडब्लूएस आरक्षण, राजीव हत्याकांड के दोषियों की रिहाई जैसे कई चर्चित फैसले

-इस साल सुप्रीम कोर्ट में हुए कई अहम डिसीजन जिनकी पूरे देश में हुई चर्चा

  • देश की न्यायापालिका के लिए काफी यादगार रहेगा वर्ष 2022

इंट्रो

देश की न्यायापालिका के लिए वर्ष 2022 काफी यादगार रहेगा। इस साल देश की सर्वोच्च अदालत ने कई महत्वपूर्ण निर्णय सुनाए जो किसी न किसी वजह से चर्चा में रहे। चाहे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई का मामला हो या अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग। सुप्रीम कोर्ट के इन फैसलों की पूरे देश में चर्चा हुई। आइए जानते हैं सुप्रीम कोर्ट के पांच महत्वपूर्ण फैसलों के बारे में …

ईडब्लूएस आरक्षण

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सात नवंबर को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्लूएस) को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था को वैध करार दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि केंद्र सरकार का आरक्षण देने का फैसला संविधान का उल्लंघन नहीं करता है। केंद्र सरकार ने 103वें संविधान संशोधन के जरिए समान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया था। अनारक्षित वर्ग के गरीबों को आरक्षण प्रदान करने वाले इस संविधान संशोधन की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

राजीव हत्याकांड के दोषियों की रिहाई

सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड के सभी छह दोषियों की रिहाई का आदेश दिया था। नलिनी श्रीहरन और आरपी रविचंद्रन ने समय से पहले रिहाई की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में अब तक राज्यपाल की ओर से कोई फैसला नहीं लिया गया है, ऐसे में हम अपना आदेश सुना रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद नलिनी श्रीहरन, रविचंद्रन, संथन, मुरुगन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार को रिहा कर दिया गया था।

चर्चित छावला दुष्कर्म-हत्या के दोषी बरी

सुप्रीम कोर्ट ने सात नवंबर को दिल्ली के चर्चित छावला दुष्कर्म और हत्याकांड के तीन दोषियों राहुल, रवि और विनोद को बरी कर दिया था और इनकी रिहाई का आदेश दिया था। वर्ष 2012 के दुष्कर्म और हत्या मामले में दिल्ली हाईकोर्ट और निचली अदालत ने तीनों दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी। तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) यूयू ललित, न्यायामूर्ति रविंद्र भट्ट और न्यायामूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को पलट दिया था, जिसमें आरोपियों को 19 वर्षीय लड़की के दुष्कर्म और हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था।

सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग

सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में इस साल 27 सितंबर को पहली बार खुली अदालत को बढ़ावा देने के मकसद से सुनवाई का लाइव प्रसारण किया गया। तत्कालीन सीजेआई यूयू ललित, न्यायामूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायामूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने पहली लाइव सुनवाई की थी। सर्वोच्च अदालत ने 21 सितंबर को अदालती कार्यवाही का सीधा प्रसारण किए जाने का निर्णय दिया था।

बिलकिस बानो केस के दोषियों की रिहाई

सुप्रीम कोर्ट ने 13 मई को गुजरात दंगों के बिल्किस बानो केस में उम्र कैद की सजा काट रहे एक दोषी की समय पूर्व रिहाई की अर्जी पर राज्य सरकार को दो महीने में फैसला करने का आदेश दिया था। इसके बाद गुजरात सरकार ने 15 अगस्त के मौके पर सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के 11 दोषियों को समय पूर्व रिहा कर दिया था।

00000

प्रातिक्रिया दे