अरुणाचल सीमा के पास नजर आए बड़ी संख्या में चीनी फाइटर जेट्स, ड्रोन

-मैक्सार की सैटेलाइट इमेज से खुलासा

  • तवांग झड़प के बाद चीन ने बढ़ाई एलएसी पर फिर गतिविधि
  • अरुणाचल से केवल 150 किमी दूर स्थित है बांगदा बेस

नई दिल्ली। हालिया तवांग में झड़प के बाद एक बार फिर चीन में एलएसी के पास अपनी गतिविधि बढ़ा दी है। भारत के नॉर्थ-ईस्ट बॉर्डर में चीनी फाइटर जेट्स और ड्रोन बड़ी संख्या में नजर आ रहे हैं। मैक्सार टेक्नोलॉजी की सैटेलाइट इमेज से चीनी करतूत का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, अरुणाचल सीमा से महज 150 किमी. दूर चीन ने अपने बांगदा एयरबेस पर सोरिंग ड्रैगन ड्रोन तैनात कर दिया है। इमेज में सोरिंग ड्रैगन ड्रोन के अलावा टेम्पररी एयरक्राफ्ट शेल्टर भी नजर आ रहे हैं। सोरिंग ड्रैगन ड्रोन 2021 में लाया गया था। इसका इस्तेमाल निगरानी, जासूसी और आक्रमण के लिए किया जाता है। ये करीब 10 घंटे लगातार उड़ान भर सकता है। बताया जा रहा है कि ये ड्रोन क्रूज मिसाइल अटैक के लिए डेटा भी ट्रांसफर कर सकता है ताकि वह जमीन पर टारगेट को हिट कर सके। भारत के पास अभी इस श्रेणी का कोई ड्रोन नहीं है।

अमेरिका की सैटेलाइज इमेज

पिछले दिनों अमेरिकी रक्षा वेबसाइट वॉर जोन ने भी तिब्बत के शिगात्से पीस एयरपोर्ट पर चीन के 10 एयरक्राफ्ट और 7 ड्रोन की सैटेलाइट इमेज जारी की थी। तिब्बत में न्यिंगची, शीगत्से और नागरी में चीन के 5 एयरपोर्ट हैं और ये भारत-नेपाल बॉर्डर के करीब हैं।

मैकमोहन लाइन के पास चीनी नेटवर्क तैयार

विशेषज्ञों ने कहा कि ड्रोन की क्षमताओं को देखकर लगता है कि चीन ने नॉर्थ-ईस्ट में मैकमोहन लाइन के करीब एक नेटवर्क खड़ा कर लिया है, जो पूरी तरह एक्टिव है। ये ड्रोन चीन के इस सिस्टम का हिस्सा है, जिनमें उनकी एयरफोर्स रियल टाइम में भारत की ग्राउंड पोजिशंस को मॉनिटर कर सकती है। इन पोजिशंस को दूसरे ड्रोन और फाइटर एयरक्राफ्ट से मिसाइल के जरिए निशाना बनाया जा सकता है। समीर हिंदुस्तान एयरोनॉिटक्स के साथ मिलकर भारतीय सेनाओं के लिए नई जेनरेशन के ड्रोन बनाने पर काम कर रहे हैं।


भारतीय नौसेना ने अमेरिकी सील कमांडो के साथ किया युद्धाभ्यास

भारत और अमेरिकी नौसेना के बीच संगम युद्धाभ्यास का सातवां संस्करण एक दिसंबर से गोवा में शुरू हो चुका है। सोमवार को भारतीय नौसेना की पश्चिमी कमान ने बताया कि युद्धाभ्यास में भारतीय नौसेना के मार्को और अमेरिकी नौसेना के सील कमांडोज ने भाग लिया। इस दौरान दोनों सेनाओं ने क्लोज क्वार्टर बैटल, हाई एल्टीट्यूड हाई ओपनिंग कॉम्बैट फ्री-फॉल और कॉम्बैट स्निपिंग स्किल्स में अपने सामरिक कौशल को तेज किया। बता दें, संगम अभ्यास पहली बार 1994 में आयोजित किया गया था और यह दोनों देशों के बीच एक महत्वपूर्ण सैन्य और कूटनीतिक पहल है, जो उनके बीच विश्वास और दोस्ती को दर्शाता है।

-अरुणाचल में 1748 किमी लंबा बनेगा फ्रंटियर हाइवे

अरुणाचल प्रदेश में एलएसी के पास सड़कों का जाल बिछाने के लिए मोदी सरकार एक पंचवर्षीय योजना पर विचार कर रही है। इस योजना के तहत 1,748 किमी लंबी दो लेन सड़क बनाई जाएगी। सीमा के 20 किमी सामानंतर पर बिछने वाली सड़क को ‘फ्रंटियर हाइवे’ के रूप में विकसित किया जाएगा। इस फ्रंटियर हाइवे का विस्तार तिब्बत-चीन-म्यांमार बॉर्डर तक होगा।

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