जयपुर । राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 से ही सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच छत्तीस का आंकड़ा जगजाहिर है। पिछले पांच साल के दौरान दोनों के बीच सियासी मतभेद पहले से ज्यादा गहरा गया है। इस बीच 11 नवंबर को हिमाचल प्रदेश के शिमला में सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए दोनों नेता एक ही हेलीकॉप्टर से पहले बूंदी से जयपुर पहुंचे। इसके बाद एक चाटर्ड प्लेन से दिल्ली गए और वहीं से एक साथ शिमला पहुंचे।
बता दें कि दोनों के एक साथ हिमाचल प्रदेश पहुंचने की घटना सुर्खियों में है। ऐसा कर एक बार फिर यह दिखाने की कोशिश की जा रही है कि पार्टी में सब कुछ ठीक है। लेकिन चर्चा ये भी है कि जब पार्टी पूरी तरह से एकजुट है तो बार-बार इस बात का एहसास क्यों कराया जा रहा है।
गहलोत-पायलट के बीच सियासी तकरार जगजाहिर…
दूसरी तरफ सियासी हकीकत यह है कि कांग्रेस के दो बड़े नेता सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच सियासी तकरार किसी से छुपी नहीं है। हाल ही में अशोक गहलोत ने कह दिया था कि सचिन पायलट गद्दार हैं। वह राजस्थान के मुख्यमंत्री नहीं बन सकते। उन्होंने अपनी सरकार को गिराने की कोशिश की थी। इस पर सचिन पायलट ने पलटवार करते हुए कहा था कि इस बात से वो आहत हुए हैं, इसके बावजूद राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान पहुंचने पर दोनों नेताओं के बीच एकता दिखाने की कोशिश की गई। राहुल गांधी के साथ सचिन पायलट और अशोक गहलोत एक मंच पर मौजूद रहे, दोनों ही नेताओं ने मीडिया के सामने आकर कहा था कि हम सब एकजुट हैं।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा…
वहीं जयराम रमेश ने गहलोत और पायलट के एक साथ हिमाचल पहुंचने पर कहा था, सभी पार्टी नेता एकजुट हैं। दोनों नेताओं का एक साथ यात्रा करना सिर्फ फोटो ग्राफी भर नहीं है। जब मीडिया की ओर से उनसे यह पूछा गया कि क्या यह दोनों नेताओं के बीच एकता दिखाने की कोशिश है, तो इसके जवाब में उन्होंने कहा कि नहीं यह एक कोशिश नहीं, बल्कि हकीकत है। पार्टी के सभी नेता एकजुट हैं। जयराम रमेश यहीं पर नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा कि दोनों नेता हमारे लिए अहम हैं। गहलोत के पास तजुर्बा है, वो संगठन और राज्य की राजनीति में बड़े पद पर हैं। सचिन पायलट युवा और ऊर्जावान युवा नेता हैं, राजस्थान कांग्रेस को दोनों की जरूरत हैं।
गहलोत की हिली जमीन, पायलट हुए पहले से ज्यादा मजबूत…
गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद से राजस्थान में नए सिरे से सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच गुटबंदी तेज हो गई है। बदले हालात में सचिन पायलट की सियासी हैसियत में भी इजाफा हुआ है। ऐसा इसलिए कि अशोक गहलोत गुजरात विधानसभा चुनाव के अहम रणनीतिकार थे, लेकिन वहां पर पार्टी की शर्मनाक हार हुई है। इस बार गुजरात में कांग्रेस आधिकारिक तौर पर विपक्ष का दर्जा हासिल करने लायक भी सीट हासिल नहीं कर पाई है। जबकि गुजरात विधानसभा चुनाव 2017 में कांग्रेस ने वहां पर 77 सीटें जीतकर मोदी-शाह को चौंका दिया था।
दूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश चुनाव पर नजर डालें तो सचिन पायलट प्रदेश में ऑब्जर्वर और स्टार प्रचारक की अहम भूमिका निभा रहे थे। वहां पर कांग्रेस ने दमदार जीत दर्ज की है, कुल 68 विधानसभा सीटों में से 40 सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी अपने-अपने क्षेत्रों में जीत हासिल कर विधानसभा पहुंचे हैं। इसका लाभ आगामी राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान पायलट को मिल सकता है।

