‘लोकतंत्र को लेकर हमें किसी से ज्ञान लेने की जरूरत नहीं है’

संयुक्त राष्ट्र में भारत की राजदूत रुचिरा कंबोज बोलीं…

-लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने वालों को यूएन के मंच से मिली भारत की कड़ी फटकार

यूएनएससी की मासिक अध्यक्षता के पहले दिन भारत ने स्पष्ट किया अपना नजरिया

(फोटो : रुचिरा कांबोज)

नई दिल्ली। बात-बात पर लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने वालों को भारत ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से कड़ी फटकार लगाते हुए कहा है कि उसे डेमोक्रेसी को लेकर किसी से कुछ सीखने की जरुरत नहीं है। भारत दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यता है और हमेशा से लोकतंत्र था। क्योंकि देश में लोकतंत्र की जड़ें ढाई हजार साल पहले से थीं। हमारे देश में हर कोई अपनी इच्छा के अनुसार बोलने के लिए स्वतंत्र है। यह जानकारी बीते गुरुवार देर रात यूएन में भारत की राजदूत रुचिरा कंबोज ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत द्वारा दिसंबर महीने की अध्यक्षता की जिम्मेदारी संभालने के पहले दिन मासिक कार्यक्रमों के संबंध में पत्रकारों से बातचीत करते हुए दी है। इस चर्चा में कंबोज से भारत में लोकतंत्र और प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर एक सवाल पूछा गया था।

भारत ने 1 दिसंबर से संभाली परिषद की अध्यक्षता

गौरतलब है कि भारत ने बीते 1 दिसंबर से एक बार फिर से यूएनएससी की अध्यक्षता की जिम्मेदारी संभाली है। इससे पहले उसने पिछले साल अगस्त महीने में इस दायित्व को निभाया था। दरअसल भारत के पास सुरक्षा परिषद की अस्थायी सदस्यता का दो वर्ष (2021-22) का कार्यकाल है। जो कि इसी दिसंबर महीने में ही पूरा हो रहा है। इसी के तहत उसे पहले अगस्त-2021 में और अब दिसंबर-2022 में परिषद की कमान संभालने का मौका मिला है।

भारत में बरकरार हैं लोकतंत्र के चारों स्तंभ

भारतीय राजदूत ने ये भी कहा कि भारत में लोकतंत्र के चारों स्तंभ विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और प्रेस बरकरार हैं। इसके अलावा एक बहुत जीवंत सोशल मीडिया भी है। इसलिए भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। हर पांच साल पर हम सबसे बड़ी लोकतांत्रिक कवायद (चुनाव) करते हैं। देश में हर कोई अपनी इच्छानुसार बोलने के लिए स्वतंत्र है। भारत में तेजी से सुधार और परिवर्तन हो रहे हैं। आगे बढ़ने की गति भी बहुत प्रभावशाली है। उन्होंने कहा, आपको केवल मेरी बात पर यकीन करने की जरुरत नहीं है। बाकी लोग ये बात कर रहे हैं।

76 देश सुरक्षा परिषद, 73 देश यूएन में सुधारों के पक्षधर

रुचिरा ने कहा, परिषद में भारत की अध्यक्षता के अंतिम चरण में दो मुख्य मुद्दों पर हमारा खास जोर रहेगा। इसमें पहला आतंकवाद की चुनौती से निपटने के लिए उच्च-स्तरीय बैठक का आयोजन और दूसरा यूएन के बहुपक्षीय ढांचे में सुधार के मुद्दे पर चर्चा मुख्य है। विदेश मंत्री एस.जयशंकर इन दोनों आयोजनों में यूएनएससी में भारत की अध्यक्षता करेंगे। 14 दिसंबर को वह यूएन में बहुपक्षीय सुधार को लेकर आयोजित की जाने वाली एक खुली परिचर्चा में भाग लेते हुए उसे संबोधित करेंगे। इस दौरान हमारी कोशिश होगी कि हम बाकी सदस्य देशों के साथ इस मामले को लेकर विचारों का आदान-प्रदान करें। जिससे बहुपक्षीय तंत्र में सुधार पर बातचीत की कवायद को आगे बढ़ाया जा सके। वैश्विक संकटों से निपटने के लिए मौजूदा व्यवस्था को पहले से अधिक प्रतिनिधित्व वाला बनाना होगा। जिससे मौजूदा विश्व की वास्तविकताओं को बेहतर ढंग से प्रदर्शित किया जा सके। इसके अगले दिन 15 दिसंबर को एस.जयशंकर वैश्विक आतंकवाद रोधी मसले पर आयोजित की जाने वाली एक ब्रीफिंग की अध्यक्षता करेंगे। इसमें आतंकवाद और उसके बढ़ते अंतरराष्ट्रीय खतरे के अलावा मौजूदा दौर में उसे बढ़ावा देने के लिए प्रयोग की जा रही डिजिटल तकनीक के मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। भारत में बीते अक्टूबर में यूएन की आतंकवाद रोधी समिति की बैठक में पारित दिल्ली घोषणापत्र को भी उक्त चर्चा के दौरान आगे बढ़ाया जाएगा। जिससे आतंकवाद से निपटने के लिए वैश्विक प्रयासों को गति प्रदान की जाएगी। इसके अलावा भारत की यूएनएससी की अध्यक्षता के दौरान अफगानिस्तान, यमन, सीरिया, सूडान, कांगो, लीबिया और इराक के हालातों पर भी चर्चा की जाएगी। उल्लेखनीय है कि इसी साल सितंबर महीने में संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) की 77वीं बैठक में दुनिया के कुल 76 देशों ने सुरक्षा परिषद में सुधारों के पक्ष में और 73 देशों ने संयुक्त राष्ट्र में सुधार की मांग उठाई है।

00

प्रातिक्रिया दे