केप केनवरल। नासा के महत्वाकांक्षी नए चंद्र राकेट के प्रक्षेपण की अंतिम तैयारियों के दौरान ईंधन के रिसाव तथा संभावित दरार का पता चलने से सोमवार सुबह निर्धारित प्रक्षेपण टल गया। अब लॉन्चिंग 2 सितंबर को रात 10.18 पर होगी। नासा ने स्पेस लांच सिस्टम रॉकेट में करीब 10 लाख गैलन हाइड्रोजन और ऑक्सीजन भरने की प्रक्रिया को रिसाव के कारण बार-बार रोका और शुरू किया। फ्लोरिडा केनेडी अंतरिक्ष केंद्र के पास आंधी-तूफान के कारण ईंधन भरने की प्रक्रिया करीब एक घंटे देरी से चल रही थी। रिसाव उसी जगह दिखाई दिया, जहां पहले भी ड्रेस रिहर्सल के दौरान सीपेज दिखाई दिया था। नासा के अधिकारियों ने कहा कि बाद में एक महत्वपूर्ण हिस्से में दरार या कुछ अन्य खामी दिखाई दी। इंजीनियरों ने इसका अध्ययन शुरू कर दिया है।
कार्यक्रम के अनुसार रॉकेट को चंद्रमा की कक्षा में चालक दल के साथ एक कैप्सूल स्थापित करने के मिशन पर उड़ान भरनी है। यह प्रक्षेपण 50 साल पहले अपोलो कार्यक्रम के समाप्त होने के बाद से पहली बार चंद्रमा की सतह पर अंतरिक्ष यात्रियों को उतारने के अमेरिका के प्रयास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है। नासा के सहायक प्रक्षेपण निदेशक जेरेमी ग्रेबर ने कहा कि पहले रिसाव से शुरू हुई जद्दोजहद के बाद अब अंतरिक्ष एजेंसी को तय करना होगा कि सोमवार सुबह प्रक्षेपण करना है या नहीं। उन्होंने कहा, हमें इस स्तर पर पहुंचने के लिए बहुत काम करना होगा।
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आर्टेमिस-1 मिशन
आर्टेमिस-1 एक मानवरहित मिशन है। पहली फ्लाइट के साथ वैज्ञानिकों का लक्ष्य यह जानना है कि अंतरिक्ष यात्रियों के लिए चांद पर सही हालात हैं या नहीं। साथ ही क्या एस्ट्रोनॉट्स चांद पर जाने के बाद पृथ्वी पर सुरक्षित लौट सकेंगे या नहीं। नासा के मुताबिक, नया स्पेस लॉन्च सिस्टम मेगारॉकेट और ओरियन क्रू कैप्सूल चंद्रमा पर पहुंचेंगे। आमतौर पर क्रू कैप्सूल में एस्ट्रोनॉट्स रहते हैं, लेकिन इस बार यह खाली रहेगा।
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कितने दिनों का मिशन
ये मिशन 42 दिन 3 घंटे और 20 मिनट का है। चंद्र राकेट के प्रक्षेपण के 42 दिन बाद कैप्सूल धरती पर वापस आ जाएगा। स्पेसक्राफ्ट कुल 20 लाख 92 हजार 147 किलोमीटर का सफर तय करेगा।
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आर्टेमिस मिशन की लागत
70 अरब रुपए मिशन लांच से पहले का खर्च
2025 तक पूरा होगा प्रोजेक्ट
7,434 अरब रुपए का खर्चा
327 अरब रुपए की हर फ्लाइट का खर्च
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मिशन की ऐसी थी तैयारी
रॉकेट को जमीन से उठने और कक्षा से बाहर जाने में 3 मिनट 40 सेकंड लगेंगे। हर मिनट 4 लाख 9 हजार लीटर तरल हाइड्रोजन और ऑक्सीजन जलेंगे जो रॉकेट को ताकत देंगे।
ओरायन का रॉकेट 98 मीटर लंबा है, जो स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से थोड़ा ज्यादा है। रॉकेट के दो बूस्टर पृथ्वी के गुरुत्व से निकलने के दो मिनट बाद ही अलग हो जाएंगे।
रॉकेट से 40 लाख किग्रा का थ्रस्ट पैदा होगा, जो इसे धरती से बाहर निकालेगा। मिशन लगभग छह हफ्ते तक चलेगा।
धरती से 3860 किमी ऊपर जाने के बाद ओरायन पूरी तरह स्वतंत्र हो जाएगा। आर्टिमिस-1 मिशन में कुल 21 लाख किमी की दूरी तय होगी।
इसमें पृथ्वी और धरती की दूरी, ओरायन का चांद का चक्कर भी जुड़ा है। ओरायन पृथ्वी से चांद तक 450,600 किमी की दूरी तय करेगा।
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