बैंकों के लोन रिकवरी एजेंट कर्जदारों को तंग नहीं कर पाएंगे, धमकाया तो होगा एक्शन

आरबीआई ने बनाए सख्त नियम : वसूली एजेंट करें परेशान, तो आपके पास हैं ये अधिकार

नई दिल्ली। चाहे क्रेडिट कार्ड का बिल हो या फिर बकाया कर्ज वसूलने के लिए बैंक किस किस तरह के हथकंडे अपनाते हैं यह किसी से छिपा नहीं है। कई बार मामला धमकी तक पहुंच जाता है। मगर अब बैंक संचालक यह सब नहीं कर सकेंगे। भारतीय रिजर्व बैंक ने इन मामलों को लेकर अपने नियम और सख्त कर दिए हैं। नई गाइडलाइन के अनुसार ग्राहकों के बकाए की वसूली के लिए अब उन्हें डराना-धमकाया तो शिकायत पर कार्रवाई होगी। यह दिशानिर्देश एक जुलाई, 2022 से लागू हो चुका है।

रिकवरी एजेंन्ट्स के द्वारा लोन डिफाल्टरों और बक़ायादारों से दुर्व्यवहारों के मामले में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भरोसा दिलाया है कि अब इस प्रकार के दुर्व्यवहार अब सहन नहीं किए जाएंगे और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि कोरोना संकट के कारण भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से सभी तरह के कर्ज की किस्त छह माह तक चुकाने की छूट मिली थी। वह समयसीमा 30 सितंबर को खत्म हो गई। आरबीआई ने बैंकों को अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए कर्ज पुनर्गठन करने की अनुमति दी है। इस फैसले के बाद सभी तरह के लोन पर ईएमआई फिर से शुरू हो गया है। वहीं, कोरोना और लॉकडाउन के कारण लाखों लोगो की नौकरी चली गई है। इसी अनुपात में लोग वेतन कटौती का सामना कर रहे हैं। इससे बैंकों को डर है उनका दिया हुआ कर्ज एनपीए हो सकता है। इस संभावना को कम करने के लिए बैंकों ने वसूली एजेंटों को भर्ती शुरू की है।

आरबीआई ने ग्राहकों को दिए ये अधिकार

लोन की वसूली के लिए किसी प्रकार की प्रताड़ना , बलपूर्वक वसूली , हिंसात्मक गतिविधि , धमकी , गाली गलौज नई गाइडलाइन में उत्पीड़न माना गया है। सुबह 9 बजे के पहले और शाम 6 बजे के बाद फोन करना या बार-बार फोन करनाख् घर या कार्यस्थल पर जाकर धमकाना या अभद्रता करना भी गाइडलाइन में वर्जित है। इन स्थितियों में ग्राहक पुलिस में शिकायत भी कर सकता है साथ ही वकील के माध्यम से अदालत की शरण भी ले सकता है।

कर्जदारों के परिजनों तक को धमकाते हैं

वसूली एजेंटों की बहाली से कर्जदारों की परेशानी बढ़ सकती है। दरअसल, वसूली एजेंट कर्जदार पर दबाब डालने के लिए रिश्तेदारों, दोस्तों, सहयोगियों यहां तक कि पत्नी और माता को भी धमकाने और उनसे बदतमीजी से नहीं कतराते हैं। इससे कर्जदार की परेशानी बढ़ जाती है। कई बार तो कर्जदारों को पुलिसी और कानून की भी सहायता लेनी पड़ती है।

कोई अभद्रता करे तो शिकायत करें

बैंक और वित्तीय कंपनियां अपना लोन वसूलने के लिए वसूली एजेंट की सेवा ले सकती है, लेकिन एजेंट ग्राहकों से किसी भी प्रकार की अभद्रता या जोर जबरदस्ती नहीं कर सकते हैं। कर्जदाता के घर जाने का भी एक निश्चित समय है। बदसलूकी पर ग्राहक बैंक में इसकी शिकायत कर सकता है, अगर वहां सुनवाई नहीं होती तो वो आगे शिकायत कर सकता है।

बिना मंजूरी नहीं बढ़ाएं क्रेडिट कार्ड की अवधि

आरबीआई ने बैंकों को ग्राहकों की मंजूरी के बिना क्रेडिट कार्ड जारी करने या मौजूदा कार्ड की सीमा बढ़ाने अथवा अन्य सुविधाएं शुरू करने से मना किया है। इसका पालन नहीं करने पर संबंधित कंपनियों को जुर्माने के रूप में बिल की राशि का दोगुना देना होगा। जिस व्यक्ति के नाम से कार्ड जारी किया जाता है, वह आरबीआई ओम्बुड्समैन से शिकायत कर सकता है। ओम्बुड्समैन जुर्माने की राशि तय करेंगे।

बैंक डेबिट कार्ड लेने बाध्य नहीं करें

केंद्रीय बैंक ने अपनी नई गाइड लाइन में यह भी कहा कि बैंक ग्राहकों को डेबिट कार्ड सुविधा लेने के लिये बाध्य नहीं करेंगे। साथ ही डेबिट कार्ड लेने को अन्य सेवाओं के लाभ से नहीं जोड़ेंगे।

100 करोड़ के नेटवर्थ वाले शुरू कर सकते हैं क्रेडिट कार्ड का कारोबार

आरबीआई के दिशानिर्देश के अनुसार, 100 करोड़ रुपये के नेटवर्थ वाले कॉमर्शियल बैंक स्वतंत्र रूप से क्रेडिट कार्ड कारोबार शुरू कर सकते हैं या कार्ड जारी करने वाले बैंकों/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के साथ गठजोड़ कर यह काम कर सकते हैं। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को भी अपने प्रायोजक या अन्य बैंकों के साथ गठजोड़ कर क्रेडिट कार्ड जारी करने की अनुमति है। आरबीआई ने साफ किया है कि एनबीएफसी बिना उसकी मंजूरी के क्रेडिट कार्ड कारोबार शुरू नहीं करेंगे।

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