कितना होता है राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति का वेतन, दोनों के पास कौन सी शक्तियां?

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को राज्यसभा से सोमवार को विदाई दी गई। नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है। नव निर्वाचित उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ 11 अगस्त को नए उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे। इससे पहले 25 जुलाई को ही द्रौपदी मुर्मू के रूप में देश को नई राष्ट्रपति मिली हैं।

एक महीने के अंदर देश के दो सर्वोच्च पदों पर हुए बदलाव के साथ दोनों की शक्तियों को लेकर लोग चर्चा कर रहे हैं। दोनों को वेतना कितना मिलता है? इन पदों पर आसीन शख्स को सुविधाएं क्या दी जाती हैं? आइये जानते हैं…

पहले बात राष्ट्रपति की करते हैं…

राष्ट्रपति रहने के पास कौन सी शक्तियां होती हैं?
संविधान के अनुच्छेद 53 के मुताबिक, संघ की कार्यकारी शक्ति राष्ट्रपति में निहित है। इनका प्रयोग वह या तो सीधे या मंत्रिपरिषद के जरिए करता है। वह किसी भी क्षेत्र को अनुसूचित क्षेत्र घोषित कर सकता है और उसके पास अनुसूचित क्षेत्रों और जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में शक्तियां हैं। वह केंद्र-राज्य और अंतर-राज्य सहयोग के लिए एक अंतर-राज्य परिषद की नियुक्ति करता है।

प्रधानमंत्री, उसकी कैबिनेट, मुख्य न्यायाधीश व सुप्रीम कोर्ट ने अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति भी राष्ट्रपति करता है। इसके साथ ही राज्यों के राज्यपाल, मुख्य निर्वाचन आयुक्त, अटॉर्नी जनरल जैसी संवैधानिक नियुक्तियां भी राष्ट्रपति ही करते हैं।

क्या राष्ट्रपति के पास कोई वीटो पावर भी होती है?
संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किसी भी विधेयक को कानून बनने के लिए राष्ट्रपति की सहमति जरूरी है। बिना राष्ट्रपति की सहमति के ये अधिनियम नहीं बन सकता है। संविधान के अनुच्छेद 11 के में राष्ट्रपति की वीटो पावर का जिक्र किया गया है। इसके मुताबिक उसके पास तीन तरह की वीटो शक्तियां हैं…

पूर्व वीटो: इसका उपयोग केवल दो मामलो में किया जा सकता है। पहला अगर संसद द्वारा पारित कोई विधेयक निजी विधेयक है। दूसरा- अगर किसी विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने से पहले मंत्रिमंडल का इस्तीफा हो जाता है।

निलंबित वीटो: इस वीटो का इस्तेमाल करके राष्ट्रपति धन विधेयक को छोड़कर किसी भी विधेयक को राष्ट्रपति पुनर्विचार के लिए लौटा सकता है। हालांकि, संसद विधेयक को संशोधन के साथ या बिना संसोधन के फिर से पारित करके राष्ट्रपति को भेज सकती है। ऐसा होने पर राष्ट्रपति को उस विधेयक को मंजूरी देना अनिवार्य होता है।

पॉकेट वीटो: इस स्थिति में किसी विधेयक की न तो की पुष्टि करता है और न ही अस्वीकार करता है और न ही वापस करता है, बल्कि अनिश्चित काल के लिए अपने पास रखे रहता है। दरअसल, राष्ट्रपति को किसी विधेयक के संबंध में निर्णय लेने की समयासीमा का उल्लेख संविधान में नहीं है। इसी का इस्तेमाल करके राष्ट्रपति किसी विधेयक को अधिनियम बनने से रोकता है। हालांकि, यह संविधान में उल्लेखित प्रावधान नहीं है।

क्या काम करते हैं उपराष्ट्रपति, क्या शक्तियां मिली हुई हैं?
उपराष्ट्रपति राज्यसभा के अध्यक्ष होते हैं। राज्यसभा के संचालन की जिम्मेदारी उन्हीं की होती है। यह अमेरिकी उपराष्ट्रपति के समान है, जो सीनेट के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य करते हैं। राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति ही उनके सारे कामकाज संभालते हैं। उपराष्ट्रपति अधिकतम छह महीने तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य कर सकते हैं। इस बीच नए राष्ट्रपति का निर्वाचन कराना अनिवार्य होता है।
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का वेतन कितना होता है?
राष्ट्रपति को हर महीने पांच लाख रुपये तनख्वाह के रूप में मिलते हैं। 2017 तक राष्ट्रपति को 1.5 लाख रुपये महीने तनख्वाह मिलती थी। 2018 में इसे बढ़ाकर पांच लाख कर दिया गया। तनख्वाह के साथ ही राष्ट्रपति को कई अतिरक्त अलाउंस मिलते हैं। इनमें जिंदगी भर के लिए मुफ्त चिकित्सा, आवास और उपचार सुविधा आदि शामिल है। राष्ट्रपति के आवास, स्टाफ, भोजन और मेहमानों की मेजबानी आदि पर सरकार हर साल करीब 2.25 करोड़ रुपये खर्च करती है। राष्ट्रपति तीनों सेनाओं का सुप्रीम कमांडर होता है। वह तीनों सेना प्रमुखों की नियुक्ति करता है। इसके साथ ही युद्ध और शांति काल का एलान भी राष्ट्रपति ही करते हैं। राष्ट्रपति राष्ट्रीय, राज्य और वित्तीय आपातकाल लगा सकता है। किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा सकता है।

देश के उपराष्ट्रपति का वेतन ‘संसद अधिकारी के सैलरी और भत्ते अधिनियम, 1953’ के तहत निर्धारित किया जाता है। यूं तो उपराष्ट्रपति को कोई वेतन नहीं मिलता है। हालांकि, उपराष्ट्रपति राज्यसभा का अध्यक्ष भी होता है, इसलिए उन्हें अध्यक्ष के तौर पर वेतन और अन्य सुविधाएं दी जाती हैं। उन्हें हर महीने चार लाख रुपये वेतन के तौर पर दिया जाता है। इसके अलावा उन्हें कई तरह के भत्ते भी मिलते हैं। उपराष्ट्रपति का वेतन 2018 में बढ़ाया गया था। इसके पहले उन्हें 1.25 लाख रुपये प्रतिमाह वेतन के तौर पर मिलते थे।

कोई कितनी बार बन सकता है राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति?
एक बार राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति चुने जाने के बाद, कोई हस्ती पांच साल तक इस पद पर रहती है। इसके बाद उसे दोबारा चुनकर आना होता है। पुनर्निर्वाचन की कोई सीमा नहीं होती है। यानी, कोई शख्स कितनी ही बार देश के दो सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बैठ सकता है।

हालांकि, अब तक केवल राजेंद्र प्रसाद एक से ज्यादा बार इस पद पर रहे हैं। देश के पहले राष्ट्रपति दो बार निर्वाचित हुए। वह 12 साल से अधिक अवधि तक इस पद पर रहे। वहीं, सर्वपल्ली राधाकृष्णन और हामिद अंसरी दो-दो बार उपराष्ट्रपति रहे।
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