नेशनल हेराल्ड के सभी फैसले वोरा के लेने के सबूत नहीं

ईडी के सूत्रों ने किया दावा

नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के करीबी सूत्रों ने कहा है कि पूछताछ के लिए बुलाए गए कांग्रेस नेताओं (सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत) में से किसी ने भी यह साबित करने के लिए कोई दस्तावेज नहीं दिया कि एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) और यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े सभी वित्तीय लेनदेन स्वर्गीय मोती लाल वोरा द्वारा नियंत्रित किए गए थे।

दरअसल, राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने नेशनल हेराल्ड केस से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी से पूछताछ के दौरान कहा था कि एजेएल और यंग इंडिया लिमिटेड से जुड़े सभी वित्तीय लेन-देन मोती लाल वोरा ही देखा करते थे। सूत्रों ने यह भी कहा कि ईडी के पास खड़गे को बुलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था क्योंकि वह यंग इंडिया के एकमात्र कर्मचारी हैं।

पूछताछ में सभी ने लिया था वोरा का नाम

ईडी सूत्रों का कहना है कि राहुल और सोनिया के अलावा कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और पवन बंसल ने भी यही नाम लिया था लेकिन, ये सभी नेता बैठक से संबंधित दस्तावेज पेश करने में विफल रहे, अगर ऐसी कोई बैठक हुई।

क्या है मामला

सुब्रमण्यम स्वामी का दावा है कि यंग इंडिया लिमिटेड ने 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति और लाभ हासिल करने के लिए “दुर्भावनापूर्ण” तरीके से निष्क्रिय प्रिंट मीडिया आउटलेट की संपत्ति को “अधिग्रहित” किया। इस मामले की जांच ईडी कर रही है।

काफी समय तक कोषाध्यक्ष रहे वोरा

गौरतलब है कि मोती लाल वोरा कांग्रेस पार्टी के सबसे लंबे समय तक कोषाध्यक्ष रहे। वोरा एजेएल मामलों में सक्रिय रूप से शामिल थे। उन्होंने जनवरी 2008 में एजेएल समूह के नेशनल हेराल्ड अखबार को बंद करने की घोषणा करने वाले समझौते पर भी सह-हस्ताक्षर किए थे। उनका साल 2020 में निधन हो गया था।

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