-खराबी आने पर बिना क्रैश हुए करेगा सेफ लैंडिंग
-भारतीय नौसेना के लिए बनाया गया है इसे
-जमीन पर हो चुका है इसका ट्रायल, जल्द शुरू होगा समुद्री परीक्षण
नई दिल्ली। महाराष्ट्र के पुणे में एक स्टार्टअप ने देश का पहला यात्री ड्रोन ‘वरुण’ बनाया है। इस खास ड्रोन को भारतीय नौसेना के लिए विकसित किया गया है। इस ड्रोन की सबसे खास बात यह है कि ये पायलट रहित ड्रोन 130 किलोग्राम तक का पेलोड ले जा सकता है। ड्रोन इतने वजन से 25 किलोमीटर की दूरी तय करने की क्षमता रखता है। आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में वरुण का प्रदर्शन देखा था। नागरिक उड्डयन मंत्रालय की ओर से ट्विटर पर एक वीडियो भी शेयर किया गया था।
ये है इसकी खासियत
इस ड्रोन में इंसान को सिर्फ बैठना होगा और इसके अलावा उसे कुछ नहीं करना है। ये ड्रोन उसे अपने आप ही एक जगह से दूसरी जगह ले जाएगा। इसे रिमोट से संचालित किया जाएगा। वहीं इसमें चार ऑटो पायलट मोड हैं, जो कुछ खराब होने की स्थिति में भी लगातार उड़ने की क्षमता को बरकरार रखते हैं। सागर डिफेंस इंजीनियरिंग कंपनी द्वारा निर्मित ड्रोन हवा में तकनीकी खराबी के बाद भी सुरक्षित लैंडिंग में सक्षम है।
तकनीकी खराबी में पैराशूट के जरिए सुरक्षित लैंडिंग
कंपनी के को-फाउंडर बब्बर ने बताया कि ड्रोन हवा में तकनीकी खराबी के बाद भी सुरक्षित लैंडिंग करने में सक्षम है। इसमें एक पैराशूट भी है, जो इमरजेंसी या खराबी के दौरान अपने आप खुल जाएगा और ड्रोन सुरक्षित लैंड हो जाएगा। इसके साथ ही वरुण का इस्तेमाल एयर एम्बुलेंस और दूर के इलाकों में सामान के ट्रांसपोर्ट के लिए किया जा सकता है।
जमीन का ट्रायल पूरा
बता दें कि नौसेना ने सागर डिफेंस को यह प्रोजेक्ट दिया था। कंपनी का कहना है कि इस प्रोजेक्ट को लगभग डेढ़ साल में पूरा करने की योजना है। जमीन पर इसका ट्रायल हो चुका है। ये नौसेना की कई आवश्यकताओं को पूरा करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल की शुरुआत में दिल्ली में दो दिवसीय भारत ड्रोन महोत्सव में ड्रोन उड़ाने में हाथ आजमाया था। कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान, पीएम मोदी ने कहा कि यह उनका सपना है कि भारत में हर किसी के हाथ में स्मार्टफोन हो, हर खेत में ड्रोन हो और हर घर में समृद्धि हो।
3 महीनों में शुरू हो जाएगा वरुण का परीक्षण
ड्रोन पूरी तरह से ऑटोमैटिक है। यानी नेवी ऑफिसर्स को सिर्फ इसमें बैठना होगा ड्रोन उन्हें खुद ही एक जगह से दूसरी जगह ले जाएगा। इसके साथ ही अगले 3 महीनों में वरुण का समुद्री परीक्षण शुरू हो जाएगा।
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