द्रौपदी मुर्मू ने ली राष्ट्रपति की शपथ… बोलीं… आदिवासी देख सकते हैैं मुझमें अपना प्रतिबिंब

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है। उनका शीर्ष संवैधानिक पद पर निर्वाचन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब सपने देख भी सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है। संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित समारोह में भारत के प्रधान न्यायाधीय एन वी रमन्ना ने मुर्मू को देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायी। शपथ लेने के बाद राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा, आजाद भारत में जन्मी मैं पहली राष्ट्रपति हूं। आदिवासी अपना प्रतिबिंब देख सकते हैै। मुझे राष्ट्रपति के रूप में देश ने एक ऐसे महत्वपूर्ण कालखंड में चुना है जब हम अपनी आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। आज से कुछ दिन बाद ही देश अपनी स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे करेगा। उन्होंने कहा कि ये भी एक संयोग है कि जब देश अपनी आजादी के 50वें वर्ष का पर्व मना रहा था तभी उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी और आज आजादी के 75वें वर्ष में उन्हें यह नया दायित्व मिला है। राष्ट्रपति ने कहा, मैं देश की ऐसी पहली राष्ट्रपति भी हूं जिसका जन्म आज़ाद भारत में हुआ है। हमारे स्वाधीनता सेनानियों ने आजाद हिंदुस्तान के हम नागरिकों से जो अपेक्षाएं की थीं, उनकी पूर्ति के लिए इस अमृतकाल में हमें तेज गति से काम करना है।

महिलाओं के हित को बताया सर्वोपरि

द्रौपदी मुर्मू ने देश की पहली महिला आदिवासी के तौर पर राष्ट्रपति पद की शपथ ले ली है। चीफ जस्टिस एनवी रमना ने उन्हें शपथ दिलवाई। इस दौरान द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि मेरे लिए महिलाओं के हित सर्वोपरि होंगे। इसके साथ ही दलितों, पिछड़ों और गरीबों के हितों के लिए भी काम करने की बात कही।

नेहरू, पटेल, लक्ष्मीबाई को किया याद

मुर्मू ने इस मौके पर पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, भीमराव आंबेडकर, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और महात्मा गांधी का भी जिक्र किया। यही नहीं रानी लक्ष्मीबाई समेत कई महिला शासकों का भी उन्होंने जिक्र किया। उन्होंने आदिवासियों की विरासत याद दिलाते हुए कहा कि कोल क्रांति, भील क्रांति समेत कई ऐसे आंदोलन रहे हैं, जिनका नेतृत्व आदिवासियों ने किया और इससे देश की आजादी का संघर्ष मजबूत हुआ।

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