‘अग्निपथ-आंदोलन’ से 2132 ट्रेनें प्रभावित, 364 करोड़ का नुकसान

रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में दी जानकारी

सेना में भर्ती के लिए मोदी सरकार ने निकाली थी भर्ती योजना

-इस योजना का हुआ था जमकर विरोध, कई रेलगाड़ियां फूंकीं गईं

नई दिल्ली। सेना में भर्ती के लिए भारत सरकार ने हाल में अग्निपथ भर्ती योजना पेश की है। इसे लेकर देशभर हो रहे विरोध प्रदर्शनों के दौरान कई रेलगाड़ियों को फूंक दिया गया और रेलवे को करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ। यह जानकारी देते हुए रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को संसद को बताया कि अग्निपथ प्रदर्शन के दौरान देशभर में 2000 से ज्यादा ट्रेनें प्रभावित हुईं। राज्यसभा में एक लिखित जवाब में उन्होंने बताया कि 15 जून और 23 जून के बीच 2132 ट्रेनें रद्द की गईं। वैष्णव ने यह भी बताया कि सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना शुरू करने के बाद शुरू हुए आंदोलन के परिणामस्वरूप सार्वजनिक अव्यवस्ता के कारण रेल सेवाओं के बाधित होने के कारण यात्रियों को रिफंड गई राशि के संबंध में अलग से डाटा नहीं रखा जाता है।

364 करोड़ का नुकसान

\”हालांकि 14 जून 2022 से 30 जून 2022 की अवधि के दौरान अग्निपथ योजना के विरोध के कारण ट्रेनों के रद्द होने पर 102.96 करोड़ और रेलवे की संपत्ति क्षतिग्रस्त होने से 259.44 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। अग्निपथ योजना के कारण रद्द की गईं सभी प्रभावित रेल सेवाओं को बहाल कर दिया गया है।

देशभर में हुआ था प्रदर्शन

हाल ही में शुरू की गई अग्निपथ योजना के खिलाफ देश के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ था, बिहार से लेकर तेलंगाना तक कई जगहों पर रेलवे संपत्ति में तोड़फोड़ की गई, कहीं आग लगा दी गई या हमला किया गया। सबसे ज्यादा बुरी तरह प्रभावित पूर्व मध्य रेलवे हुई थी। बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों व्यापक विरोध देखा गया था।


40-50 लाख में बनता है खाली डिब्बा

रेलवे अधिकारियों के मुताबिक एलएचबी तकनीक से बनने वाले एक खाली डिब्बे (बिना किसी सीट या सामान के) की कीमत मौजूदा वक्त में करीब 40 लाख रुपये होती है। इसके बाद इसमें सीट, पंखे, टॉयलेट इत्यादि सामान लगाने पर अलग से 50 से 70 लाख रुपये का खर्च आता है। ये खर्च उस बोगी की श्रेणी (जनरल या स्लीपर) पर निर्भर करता है। इस तरह एक जनरल कोच की कीमत 80 से 90 लाख रुपये तक तो स्लीपर कोच की कीमत 1.25 करोड़ रुपये तक हो सकती है।

एसी कोच का खर्च 3 करोड़

इसी तरह जब इस खाली डिब्बे को एसीकोच में बदला जाता है, तब इसमें एसी की पूरी व्यवस्था, सीटों की प्रीमियम क्वालिटी, पर्दे, ग्लास विंडो पर भी अच्छी खासी रकम खर्च होती है। इस तरह थर्ड एसी और सेकेंड एसी कोच की लागत 2 से 2.5 करोड़ रुपये तक जाती है। जबकि फर्स्ट एसीया एक्सक्यूटिव एसीकोच की लागत 3 करोड़ रुपये से भी ऊपर जा सकती है। वहीं सरकार को एक इंजन बनाने पर भी 20 करोड़ रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं. ये लागत डीजल इंजन और इलेक्ट्रिकल इंजन के हिसाब से अलग-अलग होती है।

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