- 44 साल में पहली बार हुआ पड़ोसी देश में हुआ शीर्ष पद के लिए सीधा चुनाव
-दुलस अल्हाप्परुमा को 82 और अनुरा कुमार दिसानायके को मिले सिर्फ 3 वोट
सभी पार्टियों का था सांसदों को फरमान, अपने वोट की तस्वीरें करें क्लिक
कोलंबो। श्रीलंका के नए राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे बन गए हैं। उन्हें सांसदों ने अपना नया राष्ट्रपति चुना है। विक्रमसिंघे अभी श्रीलंका के कार्यवाहक राष्ट्रपति का पद संभाल रहे हैं। नए राष्ट्रपति के चुनाव के लिए श्रीलंकाई संसद में बुधवार को सभी सांसद उपस्थित रहे। बुधवार को संसद में पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे भी मौजूद थे। राष्ट्रपति चुनाव से पहले श्रीलंकाई संसद के बाहर सुरक्षा भी बढ़ा दी गई थी। श्रीलंका की संसद में हुए राष्ट्रपति चुनाव को जीतने वाले रानिल विक्रमसिंघे को 134 वोट मिले हैं। वहीं दुलस अल्हाप्परुमा को 82 और अनुरा कुमार दिसानायके को सिर्फ 3 वोट मिले हैं। सभी पार्टियों ने अपने सांसदों को फरमान जारी किया किया था कि अपने वोट की तस्वीरें क्लिक करें। जिसके बाद संसद में फोन नहीं लाने के आदेश जारी कर दिए थे। स्पीकर ने कहा था कि चुनाव के दौरान किसी भी सांसद को मोबाइल फोन सदन में लाने की इजाजत नहीं होगी। कल, पार्टी के कुछ नेताओं ने कथित तौर पर अपने सांसदों से गुप्त मतदान में क्रॉस-वोटिंग की जांच के लिए अपने मतपत्रों की तस्वीरें लेने के लिए कहा था।
टीएनए ने किया था अल्हाप्परुमा को समर्थन
टीएनए के जाफना जिले के सांसद सुमनथिरन ने कहा था कि राष्ट्रपति चुनाव में टीएनए दुल्लास अल्हाप्परुमा के लिए मतदान करेगी। वहीं सीडब्ल्यूसी सांसद जीवन थोंडामन ने कहा है कि सीलोन वर्कर्स कांग्रेस ने बहुत विचार-विमर्श के बाद बुधवार को चुनाव में रानिल विक्रमसिंघे का समर्थन करने का फैसला किया है। वहीं श्रीलंकाई सांसद अनुरा कुमारा डिसनायके ने अंतरिम सरकार बनाने और राष्ट्रपति चुने जाने पर छह महीने के भीतर चुनाव कराने के लिए कहा है।
विक्रमसिंघे के खिलाफ प्रदर्शन
एक ओर जहां राष्ट्रपति के चुनाव के लिए संसद में वोटिंग हो रही थी, वहीं दूसरी ओर कोलंबो में राष्ट्रपति सचिवालय में कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के खिलाफ जनता का मौन विरोध प्रदर्शन चल रहा है।
44 साल में पहली बार सीधा चुनाव
श्रीलंका की संसद में 44 साल में पहली बार बुधवार को सीधे राष्ट्रपति का चुनाव हुआ। राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में कार्यकारी राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के अलावा दुल्लास अलहप्परुमा और अनुरा कुमारा दिसानायके मैदान में थे। 225 सदस्यीय सदन में जादुई आंकड़ा छूने के लिए 113 का समर्थन चाहिए था। रानिल विक्रमसिंघे को इसके लिए 16 वोटों की और जरूरत थी। विक्रमसिंघे को तमिल पार्टी के 12 वोटों में से कम से कम 9 पर भरोसा था। हालांकि विक्रमसिंघे को 134 वोट मिले हैं।
पेशे से वकील हैं विक्रमसिंघे
रानिल विक्रमसिंघे का जन्म 24 मार्च, 1949 को श्रीलंका के कोलंबो में एक संपन्न परिवार में हुआ। पिता एस्मंड विक्रमसिंघे पेशे से वकील थे। इसके अलावा उनके चाचा जूनियस जयवर्धने श्रीलंका के राष्ट्रपति भी रह चुके थे। विक्रमसिंघे के परिवार की पकड़ राजनीति, व्यापार के साथ मीडिया जगत में भी रही। वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1970 के दशक में विक्रमसिंघे ने राजनीति में एंट्री ली।
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