उपराष्ट्रपति चुनाव : अल्वा ने दाखिल किया नामांकन, राहुल, पवार समेत कई नेता मौजूद

-6 अगस्त को होने वाला है चुनाव

-एनडीए ने बनाया है जगदीप धनखड़ को प्रत्याशी

नई दिल्ली।विपक्ष की उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा ने मंगलवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया। इस दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, शिवसेना नेता संजय राउत एवं अन्य विपक्षी दल के नेता मौजूद थे। बता दें कि मार्गरेट अल्वा उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की ओर से साझा उम्मीदवार घोषित की गई हैं। एनसीपी चीफ शरद पवार ने इनके नाम का एलान किया था।

6 अगस्त को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 19 जुलाई ही है। इससे एक दिन पहले सोमवार को उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के प्रत्याशी जगदीप धनखड़ ने पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में अपना नॉमिनेशन फाइल किया था। धनखड़ को कई पार्टियों ने समर्थन का ऐलान किया है। बीजेडी, एआईएडीएमके, जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस के नेता भी कह चुके हैं कि वह उपराष्ट्रपति चुनाव में धनखड़ का साथ देंगे।

अल्वा का सियासी सफर

मार्गरेट अल्वा राजस्थान, गोवा, उत्तराखंड और गुजरात की राज्यपाल रह चुकी हैं। कर्नाटक के मेंगलुरु में 24 मई 1942 को जन्मी अल्वा का राजनीतिक सफर 1969 में शुरू हुआ था। वह 1975 से 1977 के बीच कांग्रेस की ज्वाइंट सेक्रेटरी रहीं। 1978 से 1980 तक कर्नाटक से कांग्रेस महासचिव रहीं। वह चार बार राज्यसभा और एक बार लोकसभा की सदस्य रह चुकी हैं। 1999 में वह लोकसभा पहुंची थीं।

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चुनाव का समीकरण

अल्वा, धनखड़ में कौन भारी

विपक्ष से उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना, वाम दल का समर्थन है। संभव है कि उपराष्ट्रपति चुनाव में शिवसेना दो फाड़ दिखे। इसके अलावा डीएमके, आरजेडी जैसे दलों का साथ भी मिल सकता है। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को भाजपा की अगुआई वाले एनडीए ने उम्मीदवार बनाया है। धनखड़ को अब तक भाजपा, जेडीयू, अपना दल (सोनेलाल), बीजेडी, एआईएडीएमके, वाईएसआर कांग्रेस, लोक जनशक्ति पार्टी, एनपीपी, एमएनएफ, एनडीपीपी, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) जैसे दलों का समर्थन मिला है।

आंकड़ों से जानिए कितने सदस्य वोट डालेंगे?

अभी लोकसभा और राज्यसभा सांसदों की संख्या के हिसाब से वोटर्स की दो संख्या निकलकर सामने आ रही है। पहली परिस्थिति में कुल 783 वोट पड़ सकते हैं। ऐसे में जीत के लिए उम्मीदवार को प्रथम वरीयता के 393 वोट चाहिए होंगे। दूसरी परिस्थिति में अगर 780 वोट पड़ते हैं तो उम्मीदवार को जीत के लिए प्रथम वरीयता के 391 वोट चाहिए होंगे।

किसके जीतने की ज्यादा उम्मीद

मौजूदा समय में लोकसभा में भाजपा के 303 सदस्य हैं, जबकि राज्यसभा में 91 हैं। इस तरह से भाजपा के पास मौजूदा समय 394 वोट आसानी से हो जाते हैं। मतलब साफ है भाजपा अपने उपराष्ट्रपति उम्मीदवार धनखड़ को अकेले दम पर आसानी से जीत दिला सकती है। इस तरह से अल्वा के समर्थन में 176 वोट पड़ सकते हैं।

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