भाजपा आगामी चुनावों में अजेय रहने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुझावों के अनुरूप अलग-अलग राज्यों में अपने पक्ष में नया सोशल इंजीनियरिंग तैयार करेगी। इस क्रम में राज्यों में उन जातियों-वर्गों को साधने की रणनीति बनेगी, जिससे जुड़े अधिकांश मतदाता अब तक पार्टी से दूर रहे हैं। दरअसल, राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पीएम ने भाजपा को अजेय बनाने के लिए विभिन्न सामाजिक समीकरणों के साथ और अधिक नए प्रयोग करने का सुझाव दिया है। और खासकर उत्तर प्रदेश में पसमांदा मुसलमानों के बीच पैठ बनाने का सुझाव दिया है।
उत्तर प्रदेश में मुसलमान प्रभाव वाली आजमगढ़ लोकसभा सीट पर उपचुनाव में मिली जीत के दौरान पीएम ने हस्तक्षेप किया था। उन्होंने कहा था कि भाजपा को विभिन्न सामाजिक समीकरणों के साथ नए प्रयोग करने होंगे। यह पता करना होगा कि बीते आठ वर्षों में सरकारी नीतियों, कार्यक्रमों और योजनाओं से मिले लाभ के बाद उस वर्ग का लाभार्थी क्या महसूस कर रहा है जो अब तक हमसे दूर है। पीएम ने कहा कि आजमगढ़ और रामपुर के नतीजे बताते हैं कि दूसरे दलों द्वारा दलितों, यादवों और अल्पसंख्यकों के साथ साधे गए समीकरण कमजोर पड़े हैं।
यूपी में पसमांदा मुसलमानों पर नजर
पीएम ने कहा कि उत्तर प्रदेश के लिए चुनावी नतीजे और विभिन्न स्रोतों से मिली जानकारी के आधार पर वैज्ञानिक विश्लेषण की जरूरत है। इस क्रम में राज्य में पसमांदा मुसलमानों पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है। दूसरे दलों से जुड़े उन वर्गों पर भी ध्यान देने की जरूरत है, जिनका संबंधित दलों से आकर्षण कम हुआ है। पीएम ने कहा कि नए सामाजिक समीकरणों के साथ और प्रयोग करने की जरूरत है, जिससे पार्टी के समर्थन का दायरा और बढ़े।
यूपी में पसमांदा ही क्यों?
यूपी में दलित मुसलमान (पसमांद) पर भाजपा की लंबे समय से नजर है। सीएसडीएस-लोकनीति के मुताबिक बीते विधानसभा चुनाव में भाजपा को मुसलमानों के आठ फीसदी तो सपा को 70 फीसदी वोट मिले थे। यह बीते लोकसभा चुनाव से एक फीसदी ज्यादा था। अमेरिका स्थित प्यू रिसर्च सेंटर के मुताबिक, बीते लोकसभा चुनाव में भाजपा को मुसलमानों के 20 फीसदी मत मिले थे। उत्तर प्रदेश के एक वरिष्ठ चुनावी रणनीतिकार के मुताबिक वोट देने वालों में ज्यादातर पसमांदा थे, जिन्हें सरकारी योजनाओं, कार्यक्रमों और नीतियों का लाभ मिला था। यूपी में इनकी आबादी 80 फीसदी है।
बदली रणनीति का संकेत
पीएम मोदी ने राज्यसभा चुनाव में स्वयं इस बात का संकेत दिया था कि भविष्य में भाजपा पसमांदा मुसलमानों पर करेगी। पार्टी ने अगड़े मुसलमानों में शामिल अपने तीनों चेहरों एमजे अकबर, मुख्तार अब्बास नकवी और जफरुल इस्लाम को टिकट नहीं दिया था। चर्चा है कि इसी महीने राज्यसभा में मनोनीत होने वाले सात हस्तियों में एक पसमांदा मुसलमान वर्ग से होगा। पार्टी ने अरसे बाद इसी वर्ग से जुड़े और सालों से हाशिये पर रहे साबिर अली की सुध ली है। इसी वर्ग के दानिश अंसारी को योगी मंत्रिमंडल में शामिल किया।
महाराष्ट्र में नई सोशल इंजीनियरिंग
नई सोशल इंजीनियरिंग महाराष्ट्र में सियासी उठापटक के बाद बनी नई सरकार में दिखी। भाजपा ने अंतिम समय में देवेंद्र फडणवीस का सीएम पद से पत्ता काटा और भविष्य में राज्य में प्रभावशाली मराठा, पिछड़ा और दलित समीकरण पर आगे बढ़ने का संकेत दिया। इसी रणनीति के तहत मराठा में प्रभाव बढ़ाने के लिए शिवसेना में बगावत की अगुवाई करने वाले एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया।

