शिंदे गुट को राहत, डिप्टी स्पीकर 11 तक उनकी योग्यता पर नहीं उठा पाएंगे सवाल

फ्लोर टेस्ट न करने आदेश देने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार, सुरक्षा देने का दिया फरमान

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में चल रही राजनीतिक उठापटक के बीच शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे कैंप के विधायकों को डिप्टी स्पीकर की तरफ से भेजे गए अयोग्यता के नोटिस का जवाब देने के लिए 11 जुलाई तक का समय दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना की फ्लोर टेस्ट रोकने की मांग को खारिज करते हुए सभी 39 विधायकों और उनके परिवार को पर्याप्त सुरक्षा दिए जाने का भी निर्देश दिया है।

बता दें कि एकनाथ शिंदे और उनके गुट के विधायक भरत गोगावाले ने सुप्रीम कोर्ट में दो अलग-अलग याचिकाएं दाखिल की थीं. याचिकाओं में यह कहा गया था कि शिवसेना के 54 में से 39 विधायकों का समर्थन उनके पास है। इसके बावजूद पार्टी ने विधायक दल का नेता और चीफ व्हिप बदल दिया है। अल्पमत विधायकों के चीफ व्हिप की तरफ से बहुमत के विधायकों को पार्टी के कार्यक्रम में आने का आदेश जारी करवाया जा रहा है। उसे न मानने पर विधानसभा में अयोग्यता की कार्रवाई शुरू करवा दी गई है।

अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान होना चाहिए

शिंदे की याचिका में यह भी कहा गया था कि विधानसभा के डिप्टी स्पीकर को पद से हटाने का प्रस्ताव 21 जून को दे दिया गया था। नियमों के तहत नोटिस को 14 दिन के बाद विधानसभा में रखा जाना चाहिए और नोटिस को 21 विधायकों का समर्थन होने पर अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान होना चाहिए। विधानसभा के डिप्टी स्पीकर ने अपने लिए विधानसभा में बहुमत का समर्थन हासिल करने की बजाय शिंदे कैंप के विधायकों की अयोग्यता को योग्यता का नोटिस भेज दिया.

उद्धव कैंप के विरोध से जज आश्वस्त नहीं

सीएम उद्धव ठाकरे कैंप की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी, देवदत्त कामत और डिप्टी स्पीकर के लिए पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कौल की दलीलों का जोरदार विरोध किया। सिंघवी का कहना था कि संविधान के अनुच्छेद 212 के तहत सुप्रीम कोर्ट को विधानसभा की किसी भी कार्रवाई के लंबित रहने के दौरान उसमें दखल नहीं देना चाहिए। बेंच के दोनों जज इस दलील से बहुत आश्वस्त नजर नहीं आए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- क्या डिप्टी स्पीकर खुद ही अपने जज हो गए

सुनवाई के दौरान डिप्टी स्पीकर के वकील राजीव धवन ने यह स्वीकार किया कि 21 जून को ईमेल के जरिए उन्हें पद से हटाने का प्रस्ताव मिला था। अज्ञात ईमेल से यह नोटिस आने के चलते उन्होंने इसे खारिज कर दिया। इस पर बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा, सवाल ये उठता है कि क्या डिप्टी स्पीकर खुद ही अपने केस के जज हो सकते हैं? उन्होंने एक नोटिस को इसलिए खारिज कर दिया कि उन्हें लगा कि यह किसी अज्ञात ईमेल से आया है। अगर ऐसा है तो यह बातें भी विधानसभा के किसी सक्षम अधिकारी को हमें लिखित रूप में देनी चाहिए। कोर्ट ने आगे कहा, हम दोनों याचिकाओं पर नोटिस जारी कर रहे हैं। सभी पक्ष इस पर अपना जवाब दाखिल करें।

सुरक्षा का निर्देश

याचिकाकर्ता पक्ष के वकील नीरज किशन कौल ने सभी विधायकों की सुरक्षा का मसला उठाते हुए कहा, हमें जान की धमकी दी जा रही है. कहा जा रहा है कि हमारी लाश मुंबई लौटेगी. हमारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है.\” जजों ने इस पर महाराष्ट्र के वकील से सवाल किया. उन्होंने सभी 39 विधायकों और उनके परिवार की सुरक्षा के तत्काल और पर्याप्त इंतजाम का भरोसा दिया. जजों ने अपने आदेश में इसे नोट कर लिया

फ्लोर टेस्ट पर रोक नहीं

सुनवाई के अंत में शिवसेना के चीफ व्हिप सुनील प्रभु के लिए पेश वकील देवदत्त कामत ने यह मांग की कि सुप्रीम कोर्ट अगली सुनवाई तक राज्य में किसी भी तरह के फ्लोर टेस्ट पर रोक लगा दे। कोर्ट ने इससे मना करते हुए कहा कि वह पूर्वानुमान पर आदेश नहीं दे सकता। जजों ने कहा कि कोर्ट के दरवाजे सभी के लिए खुले हुए हैं। अगर जरूरत हो तो कोई भी पक्ष सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकता है।

विधायकों को जवाब के लिए मिला समय

कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर के वकील से पूछा कि क्या वह अयोग्यता के नोटिस का जवाब देने के लिए दी गई समय सीमा को बढ़ाएंगे? धवन ने कहा कि वह डिप्टी स्पीकर से निर्देश लिए बिना इस पर कुछ नहीं कह सकते हैं. इसके बाद कोर्ट ने अपनी तरफ से नोटिस का जवाब देने की अवधि को 11 जुलाई शाम 5:30 बजे तक बढ़ा दिया.

इधर शिवसेना ने कहा

50-50 करोड़ में ब‍िक गए बैल, बागी व‍िधायक, सामना की टंकार

महाराष्‍ट्र के राजनीत‍िक संकट को लेकर श‍िवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के जर‍िए बागी व‍िधायकों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ‘सामना’ में कहा गया है क‍ि श‍िवसेना के बागी व‍िधायक 50-50 करोड़ रुपये में ब‍िके हैं। असल में ये लोग 50-50 करोड़ रुपयों में बेचे गए बैल अथवा ‘ब‍िग बुल’ हैं। ये लोकतंत्र को लगा कलंक ही है। साथ ही कहा गया है क‍ि महाराष्‍ट्र में चल रहे राजनीत‍िक ड्रामे की असली सूत्रधार बीजेपी ही है।

महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट के बीच पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के वफादरों ने मुंबई में शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के कार्यालय के बाहर महिलाओं सहित बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता जमा हुए और उन्होंने बाइक रैली निकाली और शिंदे और अन्य बागी विधायकों के खिलाफ नारेबाज़ी की। कहा गया कि शिवसैनिक गद्दारों को माफ नहीं करेंगे।

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