पौष्टिक आहार की कमी और कृमि से बच्चों में होता है एनीमिया
रायपुर. 17 जून 2022
एनीमिया यानि रक्ताल्पता से एक बड़ी आबादी जिसमें महिलाओं से लेकर बच्चे शामिल हैं, लगातार पीड़ित हैं। आम बोलचाल की भाषा में एनीमिया का मतलब खून यानि हीमोग्लोबिन की कमी है। किसी व्यक्ति में एनीमिया तब होता है जब रक्त में लाल रूधिर कण यानि आरबीसी के नष्ट होने की दर उसके निर्माण के दर से अधिक हो। एनीमिया को गंभीरता से नहीं लेने पर आगे चलकर यह गंभीर रुप धारण कर लेता है। इसलिए इसके प्रति जागरूकता बहुत जरूरी है। महिलाओं में मासिक धर्म और गर्भावस्था में यदि एनीमिया का समुचित उपचार नहीं किया गया तो यह अनेक रोगों का कारण भी बनता है। एनीमिया की गंभीरता को देखते हुए सरकार द्वारा इसके बचाव और नियंत्रण के लिए अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
शासकीय आयुर्वेद कॉलेज, रायपुर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि एनीमिया के अनेक प्रकार हैं। लेकिन सभी तरह की एनीमिया में त्वचा, जीभ, नाखूनों और पलकों के अंदर सफेद दिखाई देना, कमजोरी एवं बहुत अधिक थकावट, लेटकर या बैठकर खड़े होने पर चक्कर आना, सांस फूलना, हृदय गति का तेज होना, बेहोशी आना, चेहरे व पैरों पर सूजन आना, बालों का झड़ना जैसे मुख्य लक्षण दिखाई देते हैं। जैसे ही किसी व्यक्ति में यह लक्षण दिखाई दें उन्हें तत्काल सरकारी स्वास्थ्य केंद्र या चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।
बच्चों में एनीमिया पौष्टिक आहार की कमी और कृमि के कारण होता है। महिलाओं में एनीमिया का प्रमुख कारण मासिक धर्म के समय अत्यधिक रक्तस्राव और गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक आहार के सेवन का अभाव है। साथ ही हमारी सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियां जिसमें महिलाओं का परिवार में आखिर में बचा भोजन ग्रहण करने की परंपरा भी इसके लिए जिम्मेदार है। इसके चलते महिलाओं को सुपोषण नहीं मिल पाता। महिलाओं और बच्चों में एनीमिया के लिए कुपोषण की भी प्रमुख भूमिका है। सरकार द्वारा शिशु और महिला सुपोषण अभियान सतत रूप से चलाया जा रहा है। इन अभियानों में और अधिक जन-जागरूकता की आवश्यकता है।

