सरकार ने स्पेक्ट्रम नीलामी को दी मंजूरी… दिवाली तक मिल सकता है 5जी सेवाओं का तोहफा

-प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया निर्णय

-जुलाई माह के अंत तक होगी 72 गीगाहर्ट्ज से अधिक के स्पेक्ट्रम की नीलामी

-5 लाख करोड़ रखी गई है स्पेक्ट्रम की कुल कीमत

नई दिल्ली। इस साल दिवाली तक लोगों को 5जी सेवाओं का तोहफा मिल सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) ने 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिए स्वीकृति प्रदान कर दी है। टेलीकॉम कंपनियां लंबे समय से 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी इंतजार कर रही थीं।

देश में दूरसंचार के क्षेत्र में इसी के साथ एक नई क्रांति की शुरुआत हो गई है। इसके तहत दूरसंचार मंत्रालय इसी सप्ताह से इच्छुक टेलीकॉम कंपनियों से आवेदनों आमंत्रित करेगा। कैबिनेट के फैसले के मुताबिक नीलामी प्रक्रिया जुलाई में आरंभ की जाएगी। इसके लिए स्पेक्ट्रम की कुल कीमत 5 लाख करोड़ रखी गई है। इसके तहत सरकार नौ स्पेक्ट्रम की नीलामी करेगी। यह नीलामी बीस साल के लिए होगी।

कंपनियां 2500 मेगाहर्ट्ज बैंड तक के लिए कर सकेंगी आवेदन

इस नीलामी में टेलीकॉम कंपनियां, 600, से 1800 मोगाहर्ट्ज बैंड और 2100, 2300, 2500 मेगाहर्टज बैंड की नीलामी के लिए आवेदन करेंगे। भारत सरकार 5जी स्पेक्ट्रम की कॉलिंग और वीडियो कॉलिंग के साथ उन्नत सेवाओं को पहले ही परख चुकी है।

ट्राई की सिफारिश

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने स्पेक्ट्रम मूल्य के बारे में सिफारिशें दी थीं। ट्राई ने मोबाइल सेवाओं के लिए 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी को आरक्षित मूल्य में करीब 39 प्रतिशत की कटौती का सुझाव दिया था। 5जी स्पेक्ट्रम के नौ फ्रीक्वेंसी बैंड भारती एयरटेल और रिलायंस जियो जैसी दूरसंचार कंपनियों के बीच नीलाम किए जाएंगे। दूरसंचार विभाग के बोली और आवेदन आमंत्रित करने से संबंधित दस्तावेज में कहा गया है कि बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों को फिलहाल अपने ‘निजी गैर-सार्वजनिक नेटवर्क’ के लिए 5जी स्पेक्ट्रम को दूरसंचार कंपनियों से किराये पर लेने की इजाजत होगी।

गूगल की मांग

गूगल जैसी बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियां मशीन से मशीन संचार, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) और कृत्रिम मेधा (एआई) जैसे एप्लिकेशन के लिए स्पेक्ट्रम के सीधे आवंटन की मांग करती आ रही हैं जबकि दूरसंचार कंपनियां इसके विरोध में हैं और उनका कहा है कि 5जी स्पेक्ट्रम का सीधा आवंटन स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का माहौल बिगाड़ेगा और इससे सरकारी खजाने को राजस्व का भी नुकसान होगा।

यह पहली बार

आधिकारिक बयान में कहा गया है, सफल बोलीदाताओं को अग्रिम भुगतान करने की कोई अनिवार्यता नहीं होगी। ऐसा पहली बार किया जा रहा है। स्पेक्ट्रम के लिए भुगतान 20 बराबर सालाना किस्तों में किया जा सकेगा और ये अग्रिम किस्तें प्रत्येक वर्ष की शुरुआत में देनी होंगी। इसके अलावा बोलीदाताओं को 10 वर्ष के बाद स्पेक्ट्रम वापस करने का विकल्प भी दिया जाएगा बशर्ते उनका कोई बकाया न हो। इस नीलामी में अधिग्रहीत स्पेक्ट्रम के लिए स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) भी नहीं लिया जाएगा।

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