सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका… नीट-पीजी की खाली 1456 सीटें नहीं भरेगी

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि नीट-पीजी-2021 में ऑल इंडिया कोटे के लिए काउंसिलिंग का विशेष स्ट्रे राउंड नहीं करने का केंद्र और मेडिकल काउंसलिंग समिति का फैसला चिकित्सा शिक्षा एवं जनस्वास्थ्य के हित में है। कोर्ट ने यह कहते हुए 1456 सीट भरने का अनुरोध करने वाली याचिकाएं खारिज कर दी। न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे जन स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा। पीठ ने कहा, काउंसिलिंग का विशेष स्ट्रे राउंड नहीं कराने का सरकार और मेडिकल काउंसिलिंग समिति (एमसीसी) का फैसला चिकित्सा शिक्षा और जन स्वास्थ्य के हित में है। चिकित्सा शिक्षा के गुण और/या गुणवत्ता के साथ समझौता नहीं किया जा सकता, क्योंकि उसका आखिरकार जनस्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। पीठ ने कहा, जब भारत सरकार और एमसीसी ने काउंसिलिंग का कोई भी विशेष चरण न कराने का फैसला जब सोच समझकर लिया है,तो इसे मनमाना नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने कहा कि प्रवेश की प्रक्रिया और वो भी चिकित्सा शिक्षा में यह प्रक्रिया अंतहीन नहीं हो सकती है और यह एक खास समय पर समाप्त हो जानी चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि समय सारिणी / निर्धारित प्रवेश कार्यक्रम का पालन तो करना ही होगी, अन्यथा इससे चिकित्सा शिक्षा एवं जनस्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। पीठ ने कहा कि एमसीसी और केंद्र सरकार को प्रवेश प्रक्रिया को पूरा करने की समय सारिणी का का पालन करना है जब नीटी-पीजी-2021 का वर्तमान प्रवेश प्रक्रिया पहले से ही निर्धारित समय से पीछे चल रहा है।

पीठ ने कहा- नहीं कर सकते मनमाना फैसला

पीठ ने कहा, जब भारत सरकार और एमसीसी ने और विशेष स्ट्रे राउंड काउंसिलिंग न कराने का फैसला जब सोच समझकर लिया है,तो इसे मनमाना नहीं माना जा सकता। शीर्ष अदालत ने कहा कि छात्र अकादमिक सत्र के करीब एक साल और काउंसिलिंग के आठ से नौ चरणों के बाद उन खाली सीटों पर दाखिले के लिए प्रार्थना नहीं कर सकते, जिनमें से ज्यादा नॉन-क्लिनिकल हैं।

पहले एमसीएस को लगाई थी फटकार

उच्चतम न्यायालय ने नीट-पीजी-21 में 1450 से अधिक सीटें खाली रहने पर बुधवार को मेडिकल काउंसिलिंग समिति को फटकार लगाई थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि इसने न केवल उम्मीदवारों को मुश्किल में डाला है बल्कि इससे डॉक्टरों की भी कमी होगी। नीट-पीजी 2021-22 परीक्षा में बैठने वाले और अखिल भारतीय कोटा (एआईक्यू) काउंसलिंग एवं राज्य कोटा काउंसलिंग के पहले और दूसरे चरण में भाग लेने वाले डॉक्टरों ने ये याचिकाएं दायर की थीं।

प्रातिक्रिया दे