विज्ञापनों में महिलाओं को दिखाने पर लगेगा अंकुश

-एएससीआई ने लैंगिक रूढ़िवाद पर जारी किया दिशा निर्देश

नई दिल्ली। एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया (एएससीआई) ने लैंगिक रूढ़िवाद पर दिशा निर्देश जारी किया है। इसने कहा है कि विज्ञापनों में लैंगिक चित्रण को बढ़ावा देने पर रोक लगाई जाए। क्योंकि यह समाज के लिए हानिकारक है। इसने विज्ञापनों में दिखाए जाने वाले चित्रों की एक सीमा भी तय कर दी है। मुख्य रूप से महिलाओं से संबंधित सभी मामलों में इसका पालन करना होगा। विज्ञापन देने वाली कंपनियों को यह निर्देश दिया गया है कि वे प्रगतिशील लैंगिक चित्रों को बढ़ावा देने वाली सामग्रियों को प्रोत्साहित करें।

ऑनलाइन डिलीवरी में नहीं दिखा सकते ये विज्ञापन

दिशा-निर्देश के मुताबिक, उदाहरण के तौर पर अगर कोई ऑन लाइन सेवा लेता है और उसमें महिला को फास्ट फूड आइटम के पीछे आधे वस्त्र में उत्तेजक मुद्रा के रूप में दिखाया जाता है तो यह एक गलत या समस्या वाला विज्ञापन हो सकता है। इसने कहा है कि भले ही यौन रूप से छवि स्पष्ट न हो, पर ऐसे विज्ञापनों की कोई प्रासंगिकता नहीं होती है। साथ ही कहा, विज्ञापनों को गलत और अवांछनीय लिंग आदर्शों व अपेक्षाओं को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। किसी विज्ञापन में ऐसा संदेश नहीं देना चाहिए जिसमें यह साबित हो कि व्यक्ति लिंग के कारण किसी काम को करने में विफल है।

स्मृति ईरानी ने जारी किए दिशा-निर्देश

इस दिशा-निर्देश को केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने बुधवार को जारी किया था। इसके अनुसार किसी भी लिंग के लिए अपमानजनक भाषा या लहजे के जरिये दूसरों पर अधिकार जमाने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही विज्ञापन लिंग के आधार पर हिंसा (शारीरिक या भावनात्मक), गैरकानूनी या असामाजिक व्यवहार को बढ़ावा नहीं दे सकते।

विज्ञापनों में लोगों का उपहास न उड़ाया जाए

एएससीआई ने कहा कि भले ही यह निर्देश महिलाओं से संबंधित है, पर अन्य लिंग वालों के गलत चित्रण में भी यह लागू होगा। इसने कहा कि भाषा के उपयोग या विजुअल के मामले में यह वहां भी लागू होगा, जहां उत्पाद इससे संबंधित नहीं हैं। दिशानिर्देश में कहा गया है कि विज्ञापनों में लैंगिक आधार पर लोगों का मजाक नहीं बनाया जाना चाहिए।

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