- जर्मनी ने कहा- भारत के इस कदम से दुनियाभर में खाद्यान्न संकट बढ़ेगा
-मंत्री पुरी ने कहा, भारत गेहूं निर्यात पर सभी प्रतिबद्धताओं को करेगा पूरा
–
नई दिल्ली। भारत सरकार के पिछले दिनों गेहूं निर्यात पर रोक लगाने से दुनिया भर में हलचल मच गई है। भारत से कई देश यह निर्णय वापस लेने की मांग कर रहे हैं। गेहूं निर्यात रोकने पर भारत सरकार के फैसले की जी-7 देशों के समूह ने आलोचना भी की है। जर्मनी के कृषि मंत्री केम ओजडेमिर ने कहा है कि भारत के इस कदम से दुनियाभर में खाद्यान्न संकट बढ़ेगा। हम भारत से जी20 सदस्य के रूप में अपनी जिम्मेदारी संभालने का आह्वान करते हैं। भारत सरकार ने इस पर जवाब देते हुए अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की बात कही है। गौरतलब है, दुनिया भर में गेहूं की कीमतें बढ़ने व रूस-यूक्रेन युद्ध से दुनियाभर में गेहूं की सप्लाई बाधित होने के बाद भारत सरकार ने यह निर्णय लिया है।
जी-7 शिखर सम्मेलन में उठाया जाएगा मुद्दा
केम ओजडेमिर ने कहा कि इस मुद्दे को अगले महीने जर्मनी में जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान उठाया जाएगा, जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। उन्होंने कहा, “निर्यात पर प्रतिबंध बांग्लादेश और नेपाल जैसे देशों को प्रभावित करता है, जिन्हें इसकी तत्काल आवश्यकता है। हम यह भी अनुशंसा करते हैं कि इस मुद्दे पर G7 बैठक में एक ठोस निर्णय लिया जाए, जिसमें भारत को आमंत्रित किया जाएगा।’
भारत का जवाब
वहीं, भारत सरकार ने इस मुद्दे पर कहा है कि वह कमजोर देशों और पड़ोसियों को गेहूं आपूर्ति देना बंद नहीं करेगा। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अपने ट्वीट में आश्वासन दिया कि भारत गेहूं निर्यात पर सभी प्रतिबद्धताओं को पूरा करेगा। पुरी ने ट्वीट किया, “गेहूं का स्टॉक भरपूर है। भारत की खाद्य सुरक्षा, किफायती खाद्यान्न सुनिश्चित करने और बाजार की अटकलों से निपटने के लिए गेहूं के निर्यात को प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया गया है
इसलिए बने हालात
अब तक होता ये आया है कि सरकार किसानों से एमएसपी पर गेहूं खरीदकर उसी को मुफ्त अनाज की योजना में जनता तक पहुंचाती है। इस बार हुआ ये है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच वैश्विक बाजार में गेहूं की कीमत बढ़ गई है। ऐसा इसलिए, क्योंकि रूस और यूक्रेन दोनों ही गेहूं के बड़े निर्यातक हैं। दाम बढ़े तो सरकारी मंडी की जगह व्यापारियों ने किसानों का गेहूं ज्यादा खरीद लिया। इसका परिणाम ये हुआ कि 1 मई तक के आंकड़ों के मुताबिक सरकारी गोदाम में गेहूं का स्टॉक पांच साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। एक अनुमान है कि पिछले साल के मुकाबले 30 फीसदी तक गेहूं की सरकारी खरीद कम हो पाई है। आगे इसके और भी घटने की आशंका है।

