कोयंबटूर। तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री के. पोनमुडी ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार दो भाषाओं के फॉर्मूले की अपनी नीति को जारी रखेगी। इसके साथ ही उन्होंने कथित तौर पर हिंदी थोपने के किसी भी प्रयास की आलोचना की। हिंदी सीखने वालों के लिए नौकरी उपलब्ध होने के संबंध में जोर देने वालों पर निशाना साधते हुए मंत्री ने पूछा कि अभी शहर में ‘पानी पुरी’ कौन लोग बेच रहे हैं। उनका इशारा स्पष्ट रूप से इस व्यापार में शामिल मुख्यतया हिंदी भाषी विक्रेताओं की ओर था।
उच्च शिक्षा मंत्री की यह टिप्पणी यहां भरथियार विश्वविद्यालय के 37वें दीक्षांत समारोह में आई। इस समारोह की अध्यक्षता राज्य के राज्यपाल आर एन रवि ने की जो विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं मंत्री के इस बयान के बाद राज्यपाल रवि ने इसे खारिज करते हुए कहा, \”किसी व्यक्ति पर हिंदी या कोई अन्य भाषा थोपने का कोई सवाल ही नहीं है।
हिंदी के खिलाफ नहीं, लेकिन नौकरी असंभव
पोनमुडी ने कहा कि तमिलनाडु में लंबे समय से अंग्रेजी और तमिल प्रचलन में हैं और यह कायम रहेगा वहीं छात्र हिंदी सहित अन्य भाषाएं सीखने के खिलाफ नहीं हैं। मंत्री ने कहा, \”कई लोगों ने कहा कि अगर आप हिंदी सीखते हैं तो आपको नौकरी मिल जाएगी। क्या ऐसी स्थिति है … यहां कोयंबटूर में देखें, पानी-पुरी कौन बेच रहे हैं। ये वे (हिंदी भाषी) लोग हैं। उन्होंनें कहा कि हिंदी से नौकरी लगना मेरे विचार से असंभव ही है।
हिंदी को थोपना नहीं चाहिए, विकल्प हो
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार नयी शिक्षा नीति की अच्छी योजनाओं को अपनाने के लिए तैयार है लेकिन हिंदी को नहीं थोपना चाहिए और छात्र किसी भी भाषा को तीसरे विकल्प के रूप में चुन सकते हैं, लेकिन राज्य मौजूदा प्रणाली का पालन करता रहेगा।
हिंदी भाषा किसी पर नहीं थोपी जा रही : राज्यपाल
अपने संबोधन में, रवि ने हिंदी थोपने के पोनमुडी के दावों का खंडन किया और तमिल की समृद्धि को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, \”कुछ लोगों द्वारा ऐसी धारणा बनाई जा रही है कि केंद्र सरकार तमिलनाडु या किसी पर कोई भाषा थोप रही है। मुझे लगता है कि यह सच्चाई से बिल्कुल परे है। यह सही नहीं है।\” उन्होंने कहा कि वास्तव में, नयी शिक्षा नीति का पूरा जोर मातृभाषा व क्षेत्रीय भाषा में अध्ययन पर है।
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