-राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने गुरुवार को उन्हें यूनिटी गवर्नमेंट के प्रधानमंत्री के तौर पर दिलाई शपथ
-आर्थिक रूप से बर्बाद हो चुके श्रीलंका में राजनीतिक उठापटक तेज हो चुकी है
- लोगों के गुस्से की वजह से पीएम महिंदा राजपक्षे को देना पड़ा है इस्तीफा
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कोलंबो। श्रीलंका की सत्ता में बड़ा फेरबदल हो गया है। रानिल विक्रमसिंघे को देश का नया प्रधानमंत्री बनाया गया है। राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने गुरुवार को उन्हें यूनिटी गवर्नमेंट के प्रधानमंत्री के तौर पर पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। महिंदा राजपक्षे के इस्तीफे के बाद विक्रमसिंघे को देश की कमान सौंपी गई है। विक्रमसिंघे पहले भी पांच बार लंका के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। 73 साल के रानिल को देश का सबसे अच्छा पॉलिटिकल एडमिनिस्ट्रेटर और अमेरिका समर्थक माना जाता है। रानिल के सामने अब आर्थिक बदहाली से देश को उबारने की बड़ी चुनौती होगी। गौरतलब है, आर्थिक रूप से बर्बाद हो चुके श्रीलंका में जनता विद्रोह पर उतर आई है। सरकार में बैठे लोगों को लगातार जनता के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है। विद्रोह की वजह से पुलिस व सेना लगाई जा चुकी है।
रानिल चार बार रहे हैं प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री रह चुके रानिल विक्रमसिंघे 1994 से यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के सर्वेसर्वा हैं। अनुभवी राजनेता विक्रमसिंघे देश के चार बार प्रधानमंत्री पद पर रह चुके हैं। हालांकि, 2019 में आतंरिक कलह व अन्य वजहों से उनको प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा था। रानिल विक्रमसिंघ, देश के सबसे मजबूत राजनीतिक परिवार राजपक्षे परिवार के करीबी संबंधों के लिए भी जाने जाते हैं।
मंझे हुए पॉलिटिशियन
रानिल विक्रमसिंघे के संसदीय करियर की शुरूआत 1977 में हुई थी। वह पहली बार सांसद चुने गए थे। वकालत की डिग्री हासिल करने वाले विक्रमसिंघे देश के अनुभवी नेताओं में शुमार हैं। श्रीलंका में विभिन्न मंत्रालयों के मंत्री रह चुके 73 वर्षीय विक्रमसिंघे 1993 में पहली बार प्रधानमंत्री बने थे। इसके बाद वह चार बार पीएम रहे हैं।
राजपक्षे और 16 अन्य के देश छोड़ने पर लगाई रोक
श्रीलंका की एक अदालत ने बृहस्पतिवार को पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे, उनके सांसद बेटे नमल राजपक्षे और 15 अन्य लोगों के देश छोड़ने पर रोक लगा दी। अदालत ने यह रोक इस सप्ताह कोलंबो में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हुए हमले की चल रही जांच के मद्देनजर लगाई है। इस हिंसा में कम से कम नौ लोगों की मौत हो गई जबकि करीब 300 लोग घायल हो गए थे। महिंदा राष्ट्रपति गोटबाया के भाई हैं और इस वक्त एक नेवल बेस में छिपे हैं। उल्लेखनीय है कि एक समूह पर महिंदा राजपक्षे के प्रधानमंत्री आवास और उसके नजदीक राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के सचिवालय के पास प्रदर्शन कर रहे लोगों पर क्रूर तरीके से हमला करने का आरोप है। आरोप है कि महिंदा राजपक्षे ने अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने के लिए जमीनी कार्यकर्ताओं को एकत्र किया ताकि वे उन्हें प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देने के लिए प्रदर्शन करें। उसके बाद से सत्तारूढ़ गठबंधन से ही उनपर इस्तीफा देने और सभी दलों की अंतरिम सरकार बनाने के लिए रास्ता साफ करने का दबाव बढ़ गया। महिंदा राजपक्षे ने कथित तौर पर अपने समर्थकों को दिए भाषण में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमला करने के लिए उकसाया, जो गत एक सप्ताह से राजपक्षे परिवार से देश की खराब हुई अर्थव्यवस्था के मद्देनजर इस्तीफा देने की मांग कर रहे थे।

