झीरमघाटी मामला : आयोग की कार्यवाही पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित झीरमघाटी कांड के नए आयोग की सुनवाई और कार्यवाही पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। दरअसल विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने राज्य शासन के नए आयोग के गठन करने की वैधानिकता को हाईकोर्ट में चुनौती दी।

बिलासपुर। हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस आरसीएस सामंत ने राज्य शासन और आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। प्रकरण की अगली सुनवाई अब 4 जुलाई को होगी। बुधवार को इस मामले में अधिवक्ता विवेक शर्मा के साथ सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी ने तर्क प्रस्तुत किया। उन्होंने कोर्ट से कहा कि जस्टिस प्रशांत मिश्रा की आयोग ने जांच पूरी कर रिपोर्ट शासन को सौंप दी है, जिसे 6 माह के भीतर विधानसभा में रखा जाना था। लेकिन, सरकार ने रिपोर्ट सार्वजनिक किए बिना ही नया आयोग गठित कर दिया है। याचिका में उन्होंने आयोग गठन की प्रक्रिया को भी अवैधानिक बताया है।

नए आयोग को भंग करने की मांग

राज्य शासन ने करीब पांच माह पहले दो सदस्यीय रिटायर्ड जस्टिस सुनील अग्निहोत्री और जस्टिस मिन्हाजुद्दीन के न्यायिक जांच आयोग का गठन कर दिया है। याचिका में जस्टिस प्रशांत मिश्रा आयोग की जांच रिपोर्ट को विधानसभा में रखकर उसे सार्वजनिक करने की मांग की गई है। साथ ही यह भी मांग की गई है कि आयोग जिस मामले की जांच कर चुकी है, उसकी दोबारा जांच के लिए नया आयोग नहीं बनाया जा सकता। लिहाजा, नए आयोग को भंग किया जाए।

2013 का झीरमघाटी कांड

गौरतलब है कि साल 2013 में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल के नेतृत्व में प्रदेश भर में परिवर्तन रैली का आयोजन किया गया था। 25 मई 2013 को परिवर्तन रैली सुकमा में हुई। रैली खत्म होने के बाद कांग्रेस नेताओं का काफिला सुकमा से जगदलपुर के निकला था। नंदकुमार पटेल, उनके बेटे दिनेश पटेल, महेंद्र कर्मा, विद्याचरण शुक्ला, उदय मुदलियार समेत अन्य नेता और कार्यकर्ता 25 गाड़ियों में सवार थे। तभी शाम करीब 4 बजे झीरम घाटी के पास नक्सलियों ने पेड़ गिराकर काफिले को रोक दिया और फायरिंग शुरू कर दी। इस हमले में कांग्रेस के ज्यादातर दिग्गज नेताओं की हत्या कर दी गई। इस पूरे घटनाक्रम में 29 लोगों की मौत हुई थी।

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