मुंबई। संतूर को विश्व भर में पहचान दिलाने वाले विख्यात संतूर वादक और संगीतकार पंडित शिवकुमार शर्मा का यहां मंगलवार को सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। शर्मा 83 वर्ष के थे। वह भारत के जाने-माने शास्त्रीय संगीतकारों में से एक थे, जिन्होंने फिल्मों में भी संगीत दिया था। उन्होंने जम्मू कश्मीर के पारंपरिक वाद्य यंत्र संतूर को दुनियाभर में लोकप्रिय बनाया। पं. शिवकुमार शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1938 को जम्मू में हुआ था। उनके पिता पं. उमादत्त शर्मा भी जाने-माने गायक थे, संगीत उनके खून में ही था। पांच साल की उम्र में पं. शर्मा की संगीत शिक्षा शुरू हो गई। पिता ने उन्हें सुर साधना और तबला दोनों की ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी थी। 13 साल की उम्र में उन्होंने संतूर सीखना शुरू किया। संतूर जम्मू-कश्मीर का लोक वाद्ययंत्र था, जिसे इंटरनेशनल फेम दिलाने का श्रेय पं. शिवकुमार को ही जाता है। शिवकुमार शर्मा को 1986 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 1991 में पद्मश्री तथा 2001 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। बताया जाता है कि मुंबई के पाली हिल स्थित आवास पर सुबह आठ से साढ़े आठ बजे के बीच शर्मा ने अंतिम सांस ली। अगले सप्ताह उन्हें भोपाल में एक कार्यक्रम प्रस्तुत करना था। वह गुर्दे की समस्याओं से भी पीड़ित थे। इस बीच, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि शर्मा की राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि की जाएगी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अन्य लोगों ने शर्मा के निधन पर शोक व्यक्त किया। राष्ट्रपति कोविंद ने ट्वीट किया, उन्होंने जम्मू कश्मीर के पारंपरिक वाद्य यंत्र संतूर को लोकप्रिय बनाया। उन्होंने कहा, यह जानकर बेहद दुखी हूं कि अब उनका संतूर शांत हो गया। उनके परिवार, परिजनों एवं प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, पंडित शिवकुमार शर्मा जी के निधन से हमारे सांस्कृतिक जगत की क्षति हुई है। उन्होंने वैश्विक स्तर पर संतूर को लोकप्रिय बनाया। उनका संगीत आने वाली पीढ़ियों को प्रोत्साहित करता रहेगा। उनके साथ हुई बातचीत मुझे याद है। उनके परिजनों और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं। ओम शांति। राज्यपाल कोश्यारी ने संतूर के दिवंगत महारथी को “एक महान कलाकार, गुरु, अनुसंधानकर्ता, विचारक और एक नेकदिल मनुष्य” करार दिया।
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राजकीय सम्मान के साथ आज अंतिम संस्कार
पार्थिव शरीर को पाली हिल वाले घर में रखा जाएगा। शर्मा के पार्थिव शरीर को बुधवार को पूर्वाह्न 10 बजे जुहू स्थित अभिजीत कोआपरेटिव सोसाइटी में ले जाया जाएगा, जहां उसे दोपहर एक बजे तक जनता के दर्शन के लिए रखा जाएगा। दिवगंत संगीत मर्मज्ञ का अंतिम संस्कार विले पार्ले में पवन हंस अंत्येष्टि स्थल पर किया जाएगा।
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पहले शो से संगीत को दी नई आवाज
17 साल की उम्र में पं. शिवकुमार शर्मा ने मुंबई में संतूर वादन का अपना पहला शो किया। इसके बाद उन्होंने संतूर के तारों से दुनिया को संगीत की एक नई आवाज से वाकिफ कराया। क्लासिकल संगीत में उनका साथ देने आए बांसुरी वादक पं. हरिप्रसाद चौरसिया। दोनों ने 1967 से साथ में काम करना शुरू किया और शिव-हरि के नाम से जोड़ी बनाई।
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सिलसिला, लम्हे, चांदनी में दिया संगीत
पद्म विभूषण से सम्मानित शिवकुमार शर्मा पहले संगीतकार थे, जिन्होंने संतूर पर भारतीय शास्त्रीय संगीत के सुर बिखेरे। संतूर जम्मू कश्मीर का एक लोक वाद्य यंत्र है। बांसुरी वादक पंडित हरि प्रसाद चौरसिया के साथ शर्मा की जोड़ी को ‘शिव-हरि’ का नाम दिया गया था। इस जोड़ी ने “सिलसिला”, “लम्हे” और “चांदनी” जैसी कई फिल्मों में संगीत दिया, जिसे लोगों ने बेहद पसंद किया। शिवकुमार के बेटे राहुल शर्मा भी एक संतूर वादक हैं।
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