ताजमहल के बंद कमरों का दरवाजा खुलवाने कोर्ट पहुंची भाजपा, कहा, बंद कमरो में हैं कमरों में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां

—ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के बीच अब ताजमहल के सर्वे की भी उठने लगी मांग

—-याचिकाकर्ता का दावा-कमरे में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां

–अयोध्या से भाजपा के मीडिया प्रभारी ने दायर की याचिका


उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद की वीडियोग्राफी को लेकर हो रहे हंगामे के बीच अब ताजमहल के सर्वे की भी मांग उठी है। अयोध्या से भाजपा के मीडिया प्रभारी रजनीश सिंह ने याचिका दायर कर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से ताजमहल के बंद पड़े 22 कमरों को खुलवा कर उसकी जांच किए जाने की मांग की है। याचिका में कहा गया कि मान्यता है कि इन 22 कमरों में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं।

प्रयागराज। ताजमहल के बंद कमरों को लेकर सियासत भी तेज हो गई है। याचिका में सरकार को एक तथ्य खोज समिति गठित करने और मुगल सम्राट शाहजहां के आदेश पर ताजमहल के अंदर छिपी मूर्तियों और शिलालेखों जैसे “महत्वपूर्ण ऐतिहासिक साक्ष्यों की तलाश” करने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में ताजमहल के बंद पड़े 22 कमरों को खोला जाने और उनके रहस्यों का जानने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि “इतिहास की कई किताबों में यह है कि 1212 ईस्वी में, राजा परमर्दी देव ने तेजो महालय मंदिर महल (वर्तमान में ताजमहल) का निर्माण किया था। शाहजहां (1632 में) द्वारा कब्जा कर लिया गया था और बाद में इसे शाहजहां की पत्नी के लिए स्मारक में बदल दिया गया और इसका नाम ताजमहल रख दिया गया।

शाहजहां की पत्नी के लिए बदला स्मारक!

ऐसा कहा जाता है कि ताजमहल का नाम शाहजहां की पत्नी मुमताज महल के नाम पर रखा गया था। हालांकि कई किताबों में शाहजहां की पत्नी का नाम मुमताज-उल-ज़मानी नहीं मुमताज महल के रूप में वर्णित किया गया था। यह भी तथ्य है कि एक मकबरे का निर्माण पूरा होने में 22 साल लगते हैं जो वास्तविकता से परे है और पूरी तरह से बेतुका है।

जगतगुरु परमहंसाचार्य शिव पूजा पर अड़े थे

ताजमहल को लंबे समय से हिंदूवादी संगठन तेजोमहल होने का दावा कर रहे हैं। कई हिंदूवादी संगठनों की ओर से सावन में ताजमहल में शिव आरती करने का प्रयास भी किया गया है। पिछले दिनों जगतगुरु परमहंसाचार्य भी ताजमहल को तेजोमहल होने का दावा करते हुए अंदर शिव पूजा करने की बात पर अड़ गए थे। उनके प्रवेश को लेकर भी काफी विवाद हुआ।

याचिकाकर्ता का तर्क

याचिकाकर्ता का तर्क है कि 1600 ईसवी में आए तमाम यात्रियों ने अपने यात्रा वर्णन में मानसिंह के महल का जिक्र किया है। कहा जाता है कि ताजमहल 1653 में बना था। वहीं, 1651 का औरंगजेब का एक पत्र सामने आया, जिसमें वह लिखता है कि अम्मी का मकबरा मरम्मत कराने की जरूरत है। ऐसे तमाम तथ्यों के आधार पर अब पता लगाए जाने की जरूरत है कि ताजमहल के बंद इन 22 कमरों में क्या है।


  • ऐसी सियासत

कांग्रेस बोली आम मुद्दों से ध्यान भटकाने का प्रयास

इस मामले पर कांग्रेस पार्टी ने हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा महंगाई बेरोजगारी के मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए समाज में सांप्रदायिकता का बीज बोकर अपनी चुनावी रोटियां सेकने के लिए इस तरह की याचिकाएं दायर करवा रही है, जो कहीं ना कहीं संविधान की अवधारणा का उल्लंघन है।

भाजपा ने कहा- संदेह निवारण करना हर व्यक्ति का अधिकार

दूसरी तरफ भाजपा इसे संविधान के द्वारा दिया गया न्यायपालिका को अधिकार का मुद्दा बताती है। भाजपा का कहना है कि हर व्यक्ति को अधिकार है कि अगर उसे कोई संदेह है तो वह कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है। कोर्ट कानून की परिधि में रहकर निर्णय देता है उसमें कांग्रेस को समस्या नहीं होनी चाहिए।

ज्ञानवापी का चल रहा विवाद

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा गरमाया हुआ है। 18 अगस्त 2021 को कोर्ट में शुरू हुए इस विवाद के वादियों का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मां श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, हनुमान, आदि विश्वेश्वर, नंदीजी और अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं हैं। ये सभी देवी-देवता प्लॉट नंबर 9130 पर मौजूद हैं जो काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से सटा है। वादी पक्ष की कोर्ट से मांग है कि मस्जिद की इंतजामिया कमिटी इन मूर्तियों को नुकसान न पहुंचाए। साथ ही हिंदू लोगों को यहां दर्शन-पूजन की इजाजत मिले। हिंदू पक्ष की याचिका में यह मांग भी की गई थी कि एक कमीशन गठित करके कोर्ट मस्जिद परिसर में देवी-देवताओं की प्रतिमाओं की मौजूदगी को सुनिश्चित करे। इसे लेकर ही कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति कर अदालत ने मस्जिद परिसर की कथित वीडियोग्राफी कराने का आदेश दिया था।

कोर्ट के आदेश के बाद एडवोकेट कमिश्नर के नेतृत्व में सर्वेक्षण की टीम शुक्रवार को ज्ञानवापी मस्जिद पहुंची थी लेकिन मुस्लिम पक्ष के विरोध के कारण टीम मस्जिद के भीतर नहीं घुस पाई थी। इसके बाद दोनों पक्षों की सहमति से मस्जिद के भीतर सर्वेक्षण के लिए अगले दिन का समय रखा गया। अगले दिन दोपहर तीन बजे सर्वे होना था लेकिन हालात पहले दिन वाले जैसे ही रहे। भारी विरोध के कारण टीम को बैरंग वापस लौटना पड़ा।

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