भीषण गर्मी से राहत दिलाता है सत्तू, रखता है तंदुरुस्त और हाइड्रेट

00 महानगरों तक पहुंची खूबियां, आहार विशेषज्ञ मानते हैं सूपर कूल फूड

नई दिल्ली। मई की तपती गर्मी में चुस्त-दुरुस्त रहने के लिए रहन-सहन के साथ-साथ खान-पान पर भी ध्यान रखने की आवश्यकता है। आहार विशेषज्ञ ज्यादा से ज्यादा पेय पदार्थ लेने की सलाह देते हैं ताकि शरीर हाइड्रेट रहे। केवल पेय पदार्थ तक सिमट कर रहना संभव नहीं है। हमें कुछ ठोस पदार्थ भी लेना चाहिए, जो शरीर को हाइड्रेट रखने के साथ-साथ पौष्टिक पदार्थ की कमी भी पूरी करे। सत्तू इसका विकल्प है। सत्तू को कभी गांव के खान-पान से जोड़ा जाता था, लेकिन आज इसकी खूबियां महानगरों तक पहुंच चुकी हैं। आहार विशेषज्ञ भी इसे सूपर कूल फूड मानते हैं।

डिहाइड्रेशन की शिकायत नहीं होती

सत्तू चने और जौ को मिलाकर बनाते हैं। इसे पानी में घोलकर अथवा गूंथ कर कटे प्याज और मिर्च के अचार के साथ खाया जाता है। इसकी लिट्टी तो जग-विख्यात है ही, लेकिन अब इसके विभिन्न किस्म के स्वादिष्ट एवं पौष्टिक व्यंजन भी बनने लगे हैं। सत्तू का शरबत पीने अथवा सत्तू खाने से पेट को ठंडक मिलती है, लू नहीं लगता और डिहाइड्रेशन की शिकायत नहीं होती।

भरपूर मात्रा में होते हैं पौष्टिक तत्व

सत्तू में तमाम तरह के पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं। मसलन फाइबर, आयरन, मैंगनीज, प्रोटीन, मैग्नीशियम एवं लो सोडियम इत्यादि। सत्तू का शरबत पीने से शरीर को प्रचुर मात्रा में ऊर्जा प्राप्त होती है। सत्तू का नियमित सेवन करने से काफी हद तक डायबिटीज पर अंकुश रखा जा सकता है। यह आंतों को स्वस्थ बनाता है, जिससे कब्ज नहीं होने पाता। सत्तू का इस्तेमाल खाने के बजाय नाश्ते में करना बेहतर होता है। गर्मी के दिनों में नियमित रूप से सत्तू खाना चाहिए।

प्रोटीन का बढ़िया स्रोत

सत्तू प्रोटीन का बढ़िया स्रोत है। गर्मी के दिनों में इसका नियमित सेवन करने से पेट की समस्याएं ठीक होती हैं तथा लिवर मजबूत होता है। वजन बढ़ रहा है तो सत्तू का सेवन आरंभ कर दें। सत्तू खाने से बहुत जल्दी पेट भर जाता है और लंबे समय तक भूख नहीं लगती। इसके अतिरिक्त कैलोरी लेने से बच सकते हैं।

लू से करता है बचाव

सत्तू में प्रचुर मात्रा में फाइबर होता है, जो पेट और आंतों को सक्रिय बनाने में अहम भूमिका निभाता है। आंतों से चिकनाई और तैलीय पदार्थों को जमने नहीं देता, जिसकी वजह से कब्जियत नहीं होती और पाचन क्रिया सुचारू रहती है। सत्तू का सेवन करने से लू नहीं लगती। सत्तू में मौजूद बीटा-ग्लूकेन शरीर में बढ़ते ग्लूकोस के अवशोषण को कम करके ब्लड में शुगर लेवल को नियंत्रित रखते हैं। ठंडा सत्तू खाने या इसका शरबत पीने से रक्त शर्करा नियंत्रित रहता है। रक्तचाप दुरुस्त और नियमित रखता है। काले चने से बने सत्तू में उच्च मात्रा में फाइबर होने से हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या कम रहती है। लेकिन मधुमेह के रोगियों को सत्तू का सेवन करने से बचना चाहिए।

बढ़ती उम्र के बच्चों को बनाता है हेल्दी

सत्तू के सेवन से शरीर को प्रोटीन, विटामिन ए, कार्बोहाइड्रेट एवं मिनरल आदि प्रचुर मात्रा में प्राप्त होते हैं। ऐसे में अगर गेहूं के आटे में थोड़ी मात्रा सत्तू की मिला देंगे तो बच्चों का थोड़ा टेस्ट में भी बदलाव आयेगा साथ उपयुक्त पौष्टिक पदार्थ भी उन्हें मिलेगा। इससे उनकी इम्युनिटी बढ़ेगी और वे स्वस्थ महसूस करेंगे। बढ़ती उम्र के बच्चों को हेल्दी बनाने में सत्तू सहायक होता है।

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