नए कानून पर देश में पहला केस ग्वालियर में दर्ज

केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने दी जानकारी

नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि बीएनएस के तहत पहला मामला मध्य प्रदेश के ग्वालियर में दर्ज किया गया और यह मोटरसाइकिल चोरी से संबंधित है। उन्होंने कहा कि यह मामला 1,80,000 रुपए का है। गृहमंत्री शाह ने कहा कि दिल्ली में एक रेहड़ी-पटरी वाले के खिलाफ मामला बीएनएस के तहत दर्ज पहला मामला नहीं है और पुलिस ने समीक्षा के प्रावधान का उपयोग करके दिल्ली के मामले का निस्तारण कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि सोमवार को लागू हुई भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में पूर्ववर्ती आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) की तरह अधिकतम 15 दिन की पुलिस हिरासत का प्रावधान है। शाह ने इस भ्रम को दूर किया कि नए कानून में हिरासत अवधि बढ़ा दी गई है। बीएनएस के साथ-साथ दो अन्य नए आपराधिक कानूनों के लागू होने के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि यह भ्रम पैदा किया जा रहा है कि पुलिस हिरासत की अवधि बढ़ा दी गई है। उन्होंने कहा, मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि बीएनएस में भी हिरासत अवधि 15 दिन की है। पहले यदि किसी आरोपी को पुलिस हिरासत में भेजा जाता था। वह 15 दिन के लिए अस्पताल में भर्ती हो जाता था, तो उससे कोई पूछताछ नहीं होती थी, क्योंकि उसकी हिरासत अवधि समाप्त हो जाती थी। बीएनएस में अधिकतम 15 दिन की हिरासत होगी, लेकिन इसे 60 दिन की ऊपरी सीमा के भीतर टुकड़ों में लिया जा सकता है।


अब दंड की जगह मिलेगा न्याय

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि औपनिवेशिक कानून का दौर अब खत्म हो गया है। अब देश में दंड की जगह न्याय मिलेगा। देरी की जगह त्वरित सुनवाई होगी। राजद्रोह कानून को भी खत्म कर दिया गया है। अमित शाह ने कहा, देश की जनता को मैं बहुत-बहुत बधाई देना चाहता हूं कि आजादी के 77 साल बाद आपराधिक न्याय प्रणाली अब पूरी तरह से स्वदेशी हो रही है और भारतीय मूल्यों के आधार पर चलेगी। 75 साल बाद इन कानूनों पर विचार किया गया।

1 जुलाई से तीन नए कानून

बीएनएस, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) सोमवार को लागू हुए, जिन्होंने ब्रिटिशकालीन कानूनों क्रमश: भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली। इन तीनों नए कानून ने अब ब्रिटिश कालीन कानूनों क्रमश: भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (आईईए) की जगह ली है।

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