(फोटो : विक्रम)
नई दिल्ली। देश के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और पूर्व राजदूत विक्रम मिसरी को भारत सरकार का अगला विदेश सचिव नियुक्त किया गया है। वो भारतीय विदेश सेवा के 1989 बैच के अधिकारी हैं। वह पिछले दो सालों से उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के तौर पर काम कर रहे थे। फिलहाल, उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में उनका कार्यकाल घटाकर उन्हें भारत का अगला विदेश सचिव नियुक्त किया गया है। डिप्टी एनएसए विक्रम मिसरी 15 जुलाई से अगले विदेश सचिव होंगे। दरअसल, विक्रम मिसरी इससे पहले प्रधानमंत्री कार्यालय में भी काम कर चुके हैं और वे हिंद-प्रशांत क्षेत्र की रणनीतिक परिस्थितियों को लेकर काफी अनुभवी हैं। इसके अलावा वे फिलहाल डिप्टी एनएसए के तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ काम कर रहे हैं। अनुभवी राजनयिक और डिप्टी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार विक्रम मिसरी ने विदेश मंत्रालय के साथ-साथ प्रधानमंत्री कार्यालय में विभिन्न पदों पर काम किया है। इसके अलावा मिसरी ने यूरोप, अफ्रीका, एशिया और उत्तरी अमेरिका में विभिन्न भारतीय मिशनों में भी काम किया है। वह म्यांमार और स्पेन में भारत के राजदूत रह चुके हैं। जून 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच हुई हिंसक झड़प के दौरान विक्रम मिसरी ने दोनों देशों के बीच कई दौर की बातचीत में हिस्सा लिया था।
सेना के जवानों ने 72 घंटों में बनाया 70 फिट लंबा पुल
(फोटो : सेना पुल)
सिक्किम। सिक्किम में लगातार हो रही बारिश ने कई इलाकों में जमकर तबाही मचाई है। सिक्किम के कई इलाकों में सड़के क्षतिग्रस्त हुई है और पुल भी बह गए हैं। लगातार हो रही बारिश से लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। लेकिन इस कठिन समय में, भारतीय सेना ने एक बार फिर अपनी शक्ति और तत्परता का प्रमाण दिया है। सिक्किम में डिकचू-संकलंग रोड पर एक पुल बह गया था, जिससे इस क्षेत्र के लोगों को बाहरी दुनिया से जोड़ने वाला रास्ता बंद हो गया था। लेकिन भारतीय सेना के इंजीनियरों ने कठिन परिस्थितियों में 72 घंटे से कम समय में 70 फुट लंबा बेली ब्रिज बना दिया। यह एक अद्भुत कारनामा है, जो सेना की योग्यता और समर्पण का प्रमाण है।
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यह बेली ब्रिज अब स्थानीय लोगों के लिए एक ज़रूरी जोड़ बन गया है। यह उनको आवश्यक सामग्री और सहायता पाने में मदद करेगा। इस कार्य से सेना का मानवता के प्रति समर्पण भी स्पष्ट होता है। सेना के इंजीनियरों ने अपनी क्षमताओं का प्रयोग कर एक कठिन कार्य को पूरा किया। इस कार्य से उनकी साहस और तत्परता स्पष्ट होती है। यह कारनामा एक बार फिर से सेना की शक्ति और देश सेवा के प्रति समर्पण का प्रमाण है।
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