-राष्ट्रपति ने 50 मिनट के अभिभाषण में किया कई मुद्दों का जिक्र
- मुर्मू ने अपने संबोधन में मोदी सरकार की प्राथमिकताओं को रखा सामने
-70 वर्ष से अधिक उम्र के सभी बुजुर्गों का होगा फ्री इलाज
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक को संबोधित किया। उन्होंने अपने 50 मिनट के संबोधन में सेनाओं में सुधार का दावा किया, लेकिन एक बार भी एग्निवीर का नाम नहीं लिया। राष्ट्रपति ने जब अपने संबोधन के दौरान शिक्षा नीति की बात की, तो विपक्षी सदस्य नीट-नीट के नारे लगाने लगे। मुर्मू ने अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार की प्राथमिकताओं को सामने रखा। आपको बता दें कि 18वीं लोकसभा के गठन के बाद संसद की संयुक्त बैठक में मुर्मू का यह पहला संबोधन है। नई लोकसभा का पहला सत्र गत सोमवार को शुरू हुआ था। इसके अलावा राज्यसभा का 264वां सत्र 27 जून से शुरू होगा।
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इन मुद्दों पर की बात
18वीं लोकसभा के पहले संसद सत्र के चौथे दिन राष्ट्रपति ने हर मुद्दे पर बात की। उन्होंने कहा- पेपर लीक करने वालों को कड़ी सजा दिलाई जाएगी। उन्होंने सेना को आत्मनिर्भर बनाने की तैयारियां भी बताईं। नॉर्थ-ईस्ट में शांति के लिए सरकार के प्रयासों का भी जिक्र किया। राष्ट्रपति ने महिलाओं, युवाओं, किसानों, गरीबों के बारे में बात की। राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग की तारीफ की, वहीं जीएसटी को भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए मील का पत्थर बताया। मुर्मू ने बताया, आयुष्मान भारत योजना के तहत मुफ्त इलाज का लाभ अब 70 वर्ष से अधिक उम्र के सभी बुजुर्गों को भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि देश में 25 हजार जन औषधि केंद्रों को खोलने का काम भी तेजी से चल रहा है।
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राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान विपक्ष ने किया हंगामा, इन 4 मुद्दों का जिक्र होते ही नारेबाजी
राष्ट्रपति ने अभिभाषण में जब नॉर्थ ईस्ट, अग्निवीर योजना, नीट और एमसपी पर बोला तो विपक्षी सांसदों ने हंगामा किया। कांग्रेस, सपा समेत विपक्षी पार्टियों ने नारेबाजी की। राष्ट्रपति मुर्मू जब नॉर्थ ईस्ट में शांति और विकास पर मुद्दे पर बोल रही थीं तब विपक्षी सांसदों ने आवाज उठाई। उन्होंने नारेबाजी की, हंगामा किया। वहीं, राष्ट्रपति ने जब पेपर लीक पर बोला तब भी हंगामा हुआ।
आपात काल का उल्लेख, विपक्ष का पलटवार
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में आपातकाल का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, देश में संविधान लागू होने के बाद भी इसपर अनेक बार हमले हुए। 25 जून 1975 को लागू किया गया आपातकाल संविधान पर बीते हमले का सबसे बड़ा और काला अध्याय था। तब पूरे देश में हाहाकार मच गया था, लेकिन तब भी देश ने ऐसी असंवैधानिक ताकतों पर विजय प्राप्त कर के दिखाया, क्योंकि भारत के मूल में गणतंत्र की परंपराएं रही हैं। राष्ट्रपति के अभिभाषण में आपातकाल का जिक्र आने के बाद विपक्षी दलों ने भी पलटवार किया। समाजवादी पार्टी प्रमुख और सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि बीजेपी वाले जो लोग इमरजेंसी में रहे उनको हमने सम्मान दिया था लेकिन ये सरकार क्या उन लोगों को सम्मान दे रही है? शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने कहा कि 50 साल के बाद भी इमरजेंसी की बात करते है क्योंकि कोई और मुद्दा नहीं है। पिछले 10 साल से भी देश में इमरजेंसी है, उस पर क्या कहेंगे? कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने कहा कि राष्ट्रपति भी भी एक महिला हैं, मजबूर हो गईं। कहते हैं कि सरकार महिलाओं के पक्ष में है लेकिन राष्ट्रपति को भी मजबूर कर दिया। राष्ट्रपति क्या करेंगी, जो उनको लिखकर दिया, उन्होंने वो पढ़ दिया।
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