गजब… 40 किमी दूर बैठे डॉक्टर ने कर दिया कैंसर का ऑपरेशन

-दिल्ली के राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर में भर्ती था पेशंट

-¬ गुरुग्राम में मौजूद डॉक्टर ने टेलीसर्जरी तकनीक से किया सफल ऑपरेशन

(फोटो : आपरेशन1,2)

नई दिल्ली। दिल्ली के रोहिणी स्थित राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर और 40 किलोमीटर दूर गुरुग्राम में मौजूद डॉक्टर की एक टीम ने इतिहास रच दिया है। डॉक्टर की टीम ने बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए टेलीसर्जरी तकनीक के जरिए 40 किलोमीटर दूर भर्ती कैंसर मरीज का सफल ऑपरेशन किया है। शनिवार को हुआ ऑपरेशन एक करीब एक घंटे 45 मिनट तक चला। इस दौरान मरीज को चीरा लगाने से लेकर ट्यूमर निकालने की प्रक्रिया और वापस टांके लगाने तक की प्रक्रिया वर्चुअली की गई। यह ऑपरेशन कैंसर इंस्टीट्यूट के चिकित्सा निदेशक व जेनिटो-यूरो ऑन्कोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. सुधीर रावल और उनकी टीम ने किया है।

डॉक्टर की टीम ने रोबोट की मदद से मरीज के मूत्र मार्ग के आसपास कैंसर प्रभावित कोशिकाओं को काटकर बाहर निकाला है। मरीज की स्थिति फिलहाल स्थिर बताई जा रही है। डॉक्टरों के मुताबिक, मरीज को इसी सप्ताह छुट्टी दी जा सकती है। दिल्ली के राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर में जिस वक्त ऑपरेशन किया गया उस समय डॉक्टर की टीम गुरुग्राम के एसएन इनोवेशन में थी। ऑपरेशन के दौरान इंटरनेट या तकनीक में कोई दिक्कत ना आए, इसकी पूरी व्यवस्था की गई थी। जिससे यह ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा।

रोबोट की मदद से इलाज

कैंसर इंस्टीट्यूट के चिकित्सा निदेशक डॉ. रावल ने बताया है कि अब देश के किसी भी कोने में मौजूद मरीज का इलाज टेलीसर्जरी से संभव है। ऑपरेशन के दौरान मेरे दोनों हाथ रोबोट पर थे। ऑपरेशन शुरू करने के कुछ ही सेकंड बाद मुझे अहसास हुआ कि मैं ऑपरेशन थियेटर में हूं और मरीज सामने लेटा है। जिस तरह सामान्य ऑपरेशन में मरीज का सर्जरी वाला हिस्सा दिखता है, उसी तरह का विजन यहां 3डी क्वालिटी के साथ था। तीन दिन पहले ही इटली के रोम में बैठे चीनी डॉक्टर ने 13 हजार किमी दूर बीजिंग के अस्पताल में मरीज का सफल ऑपरेशन किया था। यह मरीज प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित था।

कैसे हुआ ऑपरेशन?

पूरा ऑपरेशन सर्जिकल रोबोटिक सिस्टम के जरिये हुआ. इसमें पांच पतली रोबोटिक भुजाएं होती हैं। इसमें एक इमर्सिव 3डी एचडी हेडसेट होता है जिसकी मदद से डॉक्टर को स्पष्ट दिखता है। इस तकनीक में मरीज को अंगुली से भी छोटा चीरा लगाया जाता है। इससे खून का बहाव भी कम होता है। इस ऑपरेशन में टांके व मरीज की रिकवरी पारंपरिक सर्जरी की तुलना में काफी जल्दी होती है।

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