यूक्रेन विवाद : किसी भी संयुक्त घोषणापत्र या दस्तावेज में शामिल नहीं होगा भारत

नई दिल्ली

स्विट्जरलैंड के ल्यूसर्न शहर में बुर्गेनस्टॉक रिजॉर्ट में यूक्रेन विवाद पर आयोजित किए गए शांति सम्मेलन के समापन पर भारत ने शनिवार को यह स्पष्ट कर दिया कि वह इस आयोजन के अंत में जारी किए जाने वाले किसी भी संयुक्त घोषणापत्र और दस्तावेज में शामिल नहीं होगा। सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) पवन कपूर ने कहा कि भारत का मानना है कि केवल वे विकल्प ही स्थायी शांति की ओर ले जा सकते हैं। जो दोनों पक्षों को स्वीकार्य हों। यूक्रेन विवाद को लेकर हम वैश्विक चिंताओं से अवगत हैं और इस समस्या के शांतिपूर्ण समाधान के लिए किसी भी साझा इच्छा का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत का मानना है कि इस विवाद के बीच बातचीत और कूटनीति के जरिए ही शांति स्थापित की जा सकती है। अपनी इसी सोच के साथ हम इस सम्मेलन में किसी साझा घोषणापत्र और दस्तावेज में शामिल हुए हैं।

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यूक्रेन की ‘क्षेत्रीय अखंडता’ हो शांति समझौते का आधार

  • स्विट्जरलैंड की वैश्विक वार्ता में 80 देशों ने कहा

-भारत ने इस सम्मेलन में पर्यवेक्षक के तौर पर विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी को

ओबबुर्गेन।अस्सी देशों ने संयुक्त रूप से रविवार को आह्वान किया कि रूस के साथ युद्ध को समाप्त करने के लिए किसी भी शांति समझौते का आधार यूक्रेन की ‘‘क्षेत्रीय अखंडता” हो। स्विट्जरलैंड में आयोजित अंतरराष्ट्रीय शांति शिखर सम्मेलन में हालांकि कुछ प्रमुख विकासशील देश शामिल नहीं हुए। सम्मेलन का आयोजन स्विट्जरलैंड के बर्गेनस्टॉक रिसॉर्ट में किया गया था। रूस को सम्मेलन के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था। सम्मेलन में मौजूद कई लोगों ने उम्मीद जताई कि रूस शांति की रूपरेखा पर चर्चा में शामिल हो सकता है। गौरतलब है, यूक्रेन में शांति के लिए रोडमैप पर चर्चा के लिए विश्व के नेता स्विट्जरलैंड में एकत्रित हुए हैं। रूस की अनुपस्थिति के कारण वास्तविक सफलता की कोई उम्मीद नहीं दिख रही। कीव अपनी मांग पर अड़ा हुआ है कि रूस यूक्रेनी क्षेत्र को छोड़ दे, जिस पर उसने कब्जा कर लिया है, जबकि मास्को अपने आक्रामक अभियान को जारी रखे हुए है और पूर्वी और दक्षिणी यूक्रेन के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है। रूस ने शर्त रखी है कि यूक्रेन नाटो की सदस्यता छोड़े। भारत ने इस सम्मेलन में पर्यवेक्षक के तौर पर विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी को भेजा है। भारत के अलावा ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका ने भी अपने अधिकारी भेजे हैं।

जेलेंस्की बोले- संयुक्त प्रयासों से रोका जा सकता है युद्ध

वैश्विक सम्मेलन में रूस की अनुपस्थिति के बावजूद यूक्रेन राष्ट्रपति वोलोदोमीर जेलेंस्की ने उम्मीद जताई कि वार्ता से इतिहास बनेगा। स्विस राष्ट्रपति वियोला एमहर्ड के साथ एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा, ‘हम दुनिया के सामने यह विचार रखने में सफल रहे हैं कि संयुक्त प्रयासों से युद्ध को रोका जा सकता है और न्यायपूर्ण शांति स्थापित की जा सकती है।’

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